Rafale Jets को लेकर रिटायर्ड एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न होते, तो आज हमारे पास राफेल नहीं होता। सोमवार को उनकी यह टिप्पणी तब आई, जब इन विमानों की पहली खेप के तौर पर पांच जेट्स फ्रांस से भारत के लिए रवाना हुए हैं। नांबियार बोले- विमानों में इस वक्त राफेल सबसे बढ़िया एयरक्राफ्ट है। पाकिस्तान के पास जो F-16 & JF-17 हैं, उनसे अगर इनकी तुलना की जाएगा तो कोई बड़ी/गंभीर बात नहीं होगी।
बकौल रिटायर्ड एयर मार्शल, “राफेल की तुलना जब आप Chengdu J-20 से करेंगे, तब मुझे लगता है कि यह उसके आगे ही खड़ा होगा।” उनके मुताबिक, स्पष्ट तौर पर कहें, तो प्रधानमंत्री ने बड़ी भूमिका निभाई है। हम 126 विमानों को खरीदने के लिए लगे थे, पर खरीद पर आगे कुछ नहीं हो रहा था। सरकार के पास आगे आकर बेहद बोल्ड और सही कदम लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
उन्होंने कहा, “हमें यह खुशकिस्मती माननी चाहिए कि यह फैसला प्रधानमंत्री ने लिया, वरना आज हमारे पास राफेल नहीं होता।” देखें, वीडियोः
#WATCH The PM, to put it in simple words, cut the clutter. We were engrossed in the procurement of these 126 aircraft & we were going nowhere. There was no way forward other than for Government to step in & take a very bold & correct step: Air Marshal (Retd) R. Nambiar on Rafale pic.twitter.com/EHc29rTT4d
— ANI (@ANI) July 27, 2020
पांच राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से भारत के लिये रवानाः राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के रूप में पांच विमान सोमवार को फ्रांस से भारत के लिये रवाना हो गए हैं। इन विमानों के बुधवार को अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है। भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था।
फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में वायुसेना अड्डे से रवाना हुए ये विमान लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को अंबाला वासुसेना अड्डे पर पहुंचेंगे। इससे पहले ये केवल संयुक्त अरब अमीरात में रुकेंगे।
वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है। भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है और इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिये फ्रांस में ही रुकेंगे। बयान में कहा गया है कि सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी।
वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने विमानों के फ्रांस से उड़ान भरने से पहले भारतीय वायुसेना के पायलटों से बातचीत की। अशरफ ने समय पर विमानों की खेप की आपूर्ति के लिये इसके निर्माता डसो एविएशन को धन्यवाद दिया।
इन पांच राफेल लड़ाकू विमानों को बुधवार दोपहर वायुसेना में शामिल किये जाने की उम्मीद है। हालांकि, वायुसेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि इन्हें बल में शामिल करने को लेकर औपचारिक समारोह का आयोजन अगस्त के मध्य में किया जाएगा। (भाषा इनपुट्स के साथ)