चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का मानना है कि राजनीति में अगर आपने अच्छे काम नहीं किए हैं तो आपको जिताना भी संभव नहीं है, हम सिर्फ राजनीतिक दलों को उनके किए गए कामों के आधार पर जीत दिलवा सकते है। इसको समझाते हुए उदाहरण दिया था कि मिट्टी के बगैर घड़ा नहीं बन सकता है। प्रशांत किशोर ने बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान यह बात इंडिया टूडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था।

राजदीप सरदेसाई के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोई भी पॉलिटिकल पार्टी अपने किए गए कामों, वादों पर जीतती या हारती हैं। मैं या फिर हमारे जैसे लोग राजनीतिक दलों की मार्जिन पर मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम हारी हुई बाजी को जिताने या फिर जीती हुई बाजी जैसे पलटने के काम नहीं कर सकते हैं। उदाहरण समझाते हुए उन्होंने कहा कि मिट्टी के बगैर घड़ा नहीं बनाया जा सकता है फिर आप चाहें कितने भी बड़े आर्टिस्ट क्यों न हों।

प्रशांत किशोर ने कहा कि आपको जीत के लिए बुनियादी जरूरी चीजे चाहिए होती हैं। राजनीतिक दल के लिए जीत की बुनियादी जरूरत पार्टी में एकता है। बंगाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसी आधार पर मैं टीएमसी के जीतने और बीजेपी के 100 के अंदर समेटने की बात करता हूं। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं अपना काम छोड़ दूंगा। बताते चलें कि पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी सही साबित हुई थी। चुनावों में TMC को 213 और BJP को 77 सीटों पर जीत मिली थी।

प्रशांत किशोर ने अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग पार्टी के लिए काम किया है। उनकी लिस्ट में देश के दिग्गज नेताओं के नाम शुमार हैं जैसे कि बीजेपी के नरेंद्र मोदी, जेडीयू के नीतीश कुमार, टीएमसी की ममता बनर्जी, कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह, वाईएसआर कांग्रेस के जगन रेड्डी और डीएमके एमके स्टालिन । इन सभी की जीत में पीके को मददगार माना जाता है।

बताते चलें पेगासस लिस्ट में भी प्रशांत किशोर का नाम सामने आया है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत किशोर के फोन की फोरेंसिक जांच में पता चला है कि 2019 में हुए आम चुनावों से कुछ महीने पहले साल 2018 में उनके मोबाइल की जासूसी करने की कोशिश की गई थी लेकिन वह कोशिश असफल हो गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार बीते पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से एक दिन पहले 28 अप्रैल को किशोर के फोन की जासूसी की गई थी।

प्रशांत इन दिनों कांग्रेस के साथ बातचीत को लेकर चर्चा में हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस को हार की हताशा से बाहर निकलना है तो उन्हें जीत और हार के दायरे से बाहर निकलकर पार्टी की जड़ों के लिए काम करना होगा।