नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा किये गये घोटाले के एक साल पहले वित्तीय वर्ष 2017 में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की संवेदनशील निरीक्षण रिपोर्ट में पंजाब नेशनल बैंक की ओर से बैंक के कामकाज के लिए जोखिम की बात तो कही गई है, लेकिन रिपोर्ट में बैंक को कहीं से भी चेतावनी देने जैसा कुछ नहीं है।
इस गोपनीय रिपोर्ट, को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए ‘द वायर’ ने हासिल किया है। इस रिपोर्ट को औपचारिक रूप से ‘जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट’ (आरएआर) के रूप में समझा जा सकता है। आरबीआई की एसपीएआरसी नीति के तहत इस तरह का मूल्यांकन किया जाता है। इस नीति के तहत आरबीआई बैंकों पर निगरानी रखता है। SPARC प्रक्रिया काफी व्यापक है। आरबीआई की ओर से किया जाने वाला मूल्यांकन बैंक के जोखिम प्रबंधन और प्रक्रियाओं में कमियों को सामने लाने का काम करता है। साथ ही बैंक के कामकाज की एक प्रभावी रिपोर्ट भी देता है। पीएनबी के लिए वित्त वर्ष 2017 जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट में संभावित जोखिमों की बात तो की गई है।
उदाहरण के लिए, यह रोजाना मामलों में बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन की भागीदारी को “अपर्याप्त” बताती है। यह बताते हुए कि कैसे वित्तीय वर्ष ’17 के लिए फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) ऑडिट में देखी गई अधिकांश अनियमितताएं पिछले साल की “दोहराई गई टिप्पणियां” थीं। जो “स्थिरता की कमी” को दर्शाती हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा “ओवरसीज एक्सपोजर की अपर्याप्त निगरानी, एनबीएफसी के लिए एक्सपोजर, रिस्ट्रक्चर खाते…” थे। और इससे भी अहम बात यह है कि “कई शाखाओं में गंभीर धोखाधड़ी की रिपोर्ट” होने के बावजूद, पीएनबी ने इन शाखाओं को “उच्च जोखिम” के रूप में वर्गीकृत नहीं किया था।
बैंक भी साफ तौर पर कुछ खातों को विशेष उल्लेख खाते (एसएमए) (31 मार्च, 2016 के मुताबिक) के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहे। ये खाते पहले ही 31 मार्च, 2017 को एनपीए में तब्दील हो गए थे। आरबीआई का कहना है ऐसा “प्रभावी नियंत्रण में कमी” के चलते हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है: “केवाईसी/एएमएल गलतियों के कई उदाहरण थे और ग्राहकों से जुड़ी दूसरी तरह की जानकारी का सही आकलन नहीं किया जा रहा था…।”