पिछले 8 महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। किसान मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग पर अड़े हुए हैं। दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के बीच सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 9वीं किस्त जारी करेंगे। इस दौरान देशभर के 9.75 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में 19,500 करोड़ रुपए भेजे जाएंगे।
सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्त जारी करने के दौरान लाभार्थियों से बात भी करेंगे। इस दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को होने वाले कार्यक्रम की जानकारी अपने ट्विटर अकाउंट से भी शेयर की है।
पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि देश के परिश्रमी किसानों के जीवन को अधिक से अधिक आसान बनाने के लिए हमारी सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इसी कड़ी में मुझे कल दोपहर में पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्त जारी करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि इस दौरान देशभर के 9.75 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में 19,500 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जाएंगे। मुझे PM-KISAN के कुछ लाभार्थियों के साथ संवाद का सुअवसर भी मिलेगा। इस योजना से जिस प्रकार हमारे किसान भाई-बहनों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है वो अत्यंत हर्ष का विषय है।
देश के परिश्रमी किसानों के जीवन को अधिक से अधिक आसान बनाने के लिए हमारी सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इसी कड़ी में मुझे कल दोपहर 12.30 बजे ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ की अगली किस्त जारी करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। https://t.co/cnVqCQZuNP
— Narendra Modi (@narendramodi) August 8, 2021
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अनुसार लाभार्थी किसानों को 6000 रुपए प्रतिवर्ष दिया जाता है। 2000 रुपए की तीन किस्तों में यह राशि किसान के अकाउंट में भेजी जाती है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार अबतक करीब 1.38 लाख करोड़ रुपए किसानों के अकाउंट में भेजे गए हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन को 8 महीने से भी अधिक का समय हो चुका है। इतने दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। जनवरी महीने के बाद से ही किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने आखिरी मीटिंग में तीनों कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसे नामंजूर कर दिया था। प्रदर्शनकारी किसान तीनों कानूनों की वापसी को लेकर अड़े हुए हैं।