India:The Modi Question: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ 10 करोड़ रुपये के मानहानि मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। यह मामला शुक्रवार (17 मई) को जस्टिस भंभानी के सामने लिस्टेड किया गया था।

जैसे ही यह मामला उनके सामने आया जस्टिस भंभानी ने कहा कि यह केस दिल्ली हाई कोर्ट के मूल पक्ष के प्रभारी न्यायाधीश के आदेशों के अधीन किसी अन्य जस्टिस के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।

गुजरात स्थित जस्टिस ऑन ट्रायल नाम के एक गैर-लाभकारी संगठन ने हाई कोर्ट में मामला दायर किया है और तर्क दिया है कि बीबीसी की दो-भाग वाली डॉक्यूमेंट्री जिसका टाइटल इंडिया: द मोदी क्वेश्चन (India: The Modi Question) है। जिसने देश की न्यायापालिक के साथ-साथ प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है।

जस्टिस ऑन ट्रायल ने एक गरीब व्यक्ति के रूप में मानहानि का मुकदमा दायर करने की अनुमति के लिए हाई कोर्ट का रुख किया है। एनजीओ ने बीबीसी से 10,000 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है।

सिविल प्रक्रिया संहिता का आदेश XXXIII निर्धन व्यक्तियों द्वारा मुकदमा दायर करने से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि एक निर्धन व्यक्ति द्वारा मुकदमा दायर किया जा सकता है यदि उसके पास ऐसे मुकदमे के लिए कानून द्वारा निर्धारित शुल्क का भुगतान करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं।
हाई कोर्ट ने 22 मई, 2023 को इंडिजेंट पर्सन एप्लिकेशन (आईपीए) पर नोटिस जारी किया था।

बीबीसी ने जनवरी, 2023 में रिलीज की थी डॉक्यूमेंट्री

बीबीसी ने जनवरी, 2023 में ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज की थी। इसमें गुजरात दंगों में कथित भूमिका को लेकर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसमें पाया गया था कि हिंसा पहले से सुनियोजित थी। वहीं, बीजेपी ने इसे पूरी तरह झूठा करारा दिया था।

डॉक्यूमेंट्री आने के एक महीने बाद ही 14 फरवरी, 2023 को आयकर विभाग ने बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ्तरों की तलाशी ली थी। ये कार्रवाई करीब 60 घंटे चली थी। इसके बाद 13 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विदेशी निवेश से संबंधित नियमों के उल्लंघन के आरोप में बीबीसी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।