केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विशेषज्ञ समिति ने आक्सफोर्ड के कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड को भारत में सीमित आपात उपयोग के लिए मंजूरी देने की सिफारिश कर दी है। एस्ट्राजेनेका और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने टीका-एजेडजी1222 विकसित किया है और भारत में इसे ही कोविशील्ड नाम दिया गया है। साथ ही, सीडीएससीओ की समिति ने भारत बायोटेक से परीक्षण के प्रतिभागियों की भर्ती तेज करने और कोवैक्सिन के अंतरिम प्रभाव के विश्लेषण की सिफारिश की है।
एस्ट्राजेनेका के साथ सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवैक्सिन की 10 करोड़ खुराक के उत्पादन के लिए करार किया है। ब्रिटेन में बुधवार को इसके इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ने टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी की इजाजत मांगी थी। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर एक विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। अब अंतिम फैसला भारत के औषधि महानियंत्रक लेंगे और टीके के इस्तेमाल की आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी।
सीडीएससीओ की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति ने बुधवार को टीके के आपात उपयोग की मंजूरी देने के एसआइआइ के आवेदन पर विचार किया था और इस मामले में शुक्रवार को एक बार फिर समीक्षा की। सीडीएससीओ ने एसआइआइ से पहले अतिरिक्त सुरक्षा और प्रतिरक्षा संबंधी जानकारी मांगी थी। आपात उपयोग की मंजूरी (ईयूए) के आवेदन पर एसआइआइ में सरकार और नियामक मामलों के अतिरिक्त निदेशक प्रकाश कुमार सिंह के हस्ताक्षर हैं जिसमें कहा गया है, ‘सुरक्षा के लिहाज से देखें तो कोविशील्ड ने अपेक्षित प्रतिकूल स्थितियों में अच्छा प्रदर्शन किया।
अधिकतर अपेक्षित प्रतिक्रियाएं गंभीरता के लिहाज से बहुत मामूली थीं और उन्हें सुलझा लिया गया तथा कोई अन्य लक्षण नहीं दिखाई दिए।’ एसआइआइ ने आक्सफोर्ड के टीके के आपात उपयोग की मंजूरी के लिए छह दिसंबर को भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआइ) को आवेदन किया था, वहीं हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने सात दिसंबर को आपने स्वदेश विकसित कोवैक्सिन टीके की मंजूरी के लिए अर्जी दाखिल की थी। फाइजर कंपनी ने अपने टीके को नियामक मंजूरी देने के लिए चार दिसंबर को आवेदन किया था।
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) ने कोविशील्ड के उत्पादन के लिए एस्ट्रेजेनेका के साथ करार किया है। एसआइआइ दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है। ब्रिटेन की मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजंसी (एमएचआरए) ने आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तथा एस्ट्रेजेनेका द्वारा निर्मित टीके को बुधवार को मंजूरी प्रदान की थी।
मंजूरी के आधिकारिक एलान के बाद टीकाकरण की प्रक्रिया अगले सात से दस दिनों के भीतर शुरू हो सकती है। ब्रिटेन की मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजंसी ने आक्सफोर्ड टीके को 30 दिसंबर को आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी प्रदान की थी। अधिकारियों के मुताबिक, देश में करीब 96 हजार स्वयंसेवकों को कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जिसके तहत जुलाई तक प्राथमिकता के आधार पर 30 करोड़ आबादी को टीका लगा देना है। सीरम इंस्टीट्यूट पहले ही कह चुका है उसने करीब पांच करोड़ कोविशील्ड की खुराक तैयार कर ली है और हर हफ्ते इसमें इजाफा हो रहा है। देश में दो जनवरी को टीकाकरण का पूर्वाभ्यास किया जाएगा। इससे अभियान में आने वाली चुनौतियों की पहचान कर योजना तथा क्रियान्यवन के बीच की कड़ियों को परखा जाएगा।
टीके के खुराक की उपलब्धता के आधार पर भारत सरकार ने प्राथमिकता तय की है। उन लोगों को टीका पहले लगाया जाएगा, जिन्हें ज्यादा खतरा है। प्रथम समूह में स्वास्थ्य कर्मी और प्राथमिक स्तर पर काम कर रहे लोग शामिल हैं। दूसरे समूह में 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग और अन्य होंगे। सरकार ने बताया है कि 28 दिनों के अंतराल पर टीके दो खुराक दिए जाएंगे।