BKU नेता राकेश टिकैत ने पूछा है कि देश में जब पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं, तो फिर किसानों की फसल की कीमतें क्यों नहीं बढ़ती हैं?
यह पूछे जाने पर कि धीमे-धीमे आप उपभोक्ताओं के मुद्दे उठा रहे हैं? टिकैत का जवाब आया- उठाएंगे न…जिस हिसाब से महंगाई बढ़ रही है, तो कहना तो पड़ेगा न। सरसों के दाम तो बढ़ें नहीं, पर तेल (खाद्य) के दाम 30 से 40 रुपए प्रति किलो बढ़ गए। पेट्रोल के भी बहुत बढ़ गए। ऐसे ही अनाज के दामों में भी उतार चढ़ाव आएगा।
बकौल टिकैत, “हमने बार-बार कहा कि रोटी बाजार की वस्तु न बने। भूख पर देश दुनिया में व्यापार न हो। ये तो पूरी दुनिया में ही लड़ाई होगी। ये तो पूरी दुनिया में ही भूख पर व्यापार करना हैं…ये नहीं होना चाहिए।” सरकार सुनने को तैयार नहीं है? इस पर वह बोले- सरकार की बात तो सरकार बता पाएगी, पर पंचायत की बात हम बता सकेंगे।
देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं तो किसान की फ़सल के क्यों नहीं- @RakeshTikaitBKU #FarmersProtests #PetrolPriceHike pic.twitter.com/fWmhsGyZgK
— News24 (@news24tvchannel) February 15, 2021
यही नहीं, सोमवार को उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर पर चल रही सावित्रीबाई फुले पाठशाला में बच्चों को पढ़ाया भी। कहा, “यह पाठशाला 22 जनवरी से चल रही है। इसमें झुग्गी झोपड़ी के बच्चे पढ़ने आते हैं। आज मैंने उन बच्चों को पढ़ाया और उनसे बात की।”
किसान आंदोलन में सबसे प्रमुख शख्सियत आप हैं। आपके नाम पर पंचायतें हो रही हैं, पर चढ़ूनी ने कहा था कि ये किसान संयुक्त मोर्चा की पंचायतें हैं? टिकैत ने इस पर जवाब दिया- मोर्चे की हैं…हम क्या हैं, हम भी किसान हैं। गांव में खेती करती हैं। गन्ने का भुगतान है, कुछ तो सरकार नहीं करती है। फिर एक-आधी पर्ची ज्वॉइंट खाता घर वालों ने खुलवा दिया है…वे भी नहीं देते। उतना ही देते हैं, आटा दाल भिजवा देते हैं कि खर्चा तो है ही नहीं।
18 को रेल रोको आंदोलन पर उन्होंने बताया कि तीन-चार घंटे यह चलेगा और इस दौरान ट्रेनें रोकी जाएंगी। वहीं, कांग्रेसी विद्या रानी के बयान पर टिकैत ने कहा- यहां पर शराब की क्या जरूरत है? मुझे नहीं मालूम कि आखिर वह ऐसे बयान क्यों दे रही हैं? ऐसे लोगों का आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। यह बिल्कुल गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए। वे जो बांटना चाहें, बांटे पर अपने आंदोलन में।

