रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रविवार (1मई) को कहा कि विवादास्पद अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में 4 मई को वह संसद के समक्ष विस्तृत ब्यौरे के साथ सभी तथ्यों को पेश करेंगे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं संसद के समक्ष बुधवार को हेलीकॉप्टर सौदे के बारे में विस्तृत ब्यौरा और तथ्यों को रखूंगा। मैं विस्तृत घटनाक्रम रखूंगा जिसमें बताऊंगा कि किस तरह और कैसे कंपनी के मुताबिक नियमों और प्रावधानों में ढील दी गई।”

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उन्होंने कहा, “जिन लोगों को रिश्वत मिली वे अपने उन पर अभियोजन चलाने के लिए सबूत नहीं छोड़ेंगे लेकिन हमें इसे साबित करना है कि रिश्वत ली गई।” रक्षा मंत्री ने कहा, “हमें हर चीज साबित करनी है। चूंकि मामले को संसद के समक्ष रखा जाएगा इसलिए मैं मीडिया को विस्तार से जानकारी नहीं दूंगा।” पर्रिकर ने पूछा, “कंपनी के खिलाफ 2014 तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? तत्कालीन संप्रग सरकार ने कंपनी को काली सूची में क्यों नहीं डाला?”

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उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस को चुनौती देता हूं कि संप्रग सरकार के आदेश को दिखाएं कि अगस्तावेस्टलैंड कंपनी को काली सूची में डाला गया। पहले उन्हें जवाब देने दीजिए कि उसे क्यों नहीं प्रतिबंधित किया गया। हमारी सरकार के समय में इसे प्रतिबंधित किया गया।”

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पर्रिकर ने हाल में यूपीए सरकार द्वारा अगस्तावेस्टलैंड को काली सूची में डालने के आदेश दिखाने की चुनौती दी थी। मोदी सरकार के सूत्रों ने हाल ही में दावा किया था कि अगस्तावेस्टलैंड को यूपीए शासनकाल के दौरान काली सूची में नहीं डाला गया।

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पर्रिकर पणजी में फुटबॉल जमीन की आधारशिला रखने के लिए आयोजित समारोह के इतर संवाददाताओं से बात कर रहे थे। हेलीकॉप्टर सौदा 2013 में पटरी से उतर गया था जब इटली में फिनमिकैनिका के प्रमुख को सौदा हासिल करने के लिए रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। अगस्तावेस्टलैंड इसी कंपनी से जुड़ा हुआ है।

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