Parliament News Updates: संसद के निचले सदन लोकसभा ने बुधवार (24 जुलाई, 2019) को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी, जिसका मकसद आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच और अभियोजन की प्रक्रिया में कई कठिनाइयों को दूर करना है। विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक को विचार करने के लिए रखे जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने अध्यक्ष से मत-विभाजन की मांग की। सदन ने ओवैसी की आपत्तियों को आठ के मुकाबले 287 मतों से अस्वीकार कर दिया।
ओवैसी ने अपने कुछ संशोधनों पर भी मत-विभाजन की मांग की, जिस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की नियमावली के नियम-367 के एक खंड का हवाला देते हुए कहा कि अगर मत-विभाजन की मांग अनावश्यक है, तो अध्यक्ष सदस्यों को अपने-अपने स्थानों पर खड़े होने के लिए कह सकते हैं। सदस्यों की संख्या गिनकर ‘हां’ और ‘ना’ के पक्ष में मतों की गिनती की जा सकती है।
इसी बीच, मत-विभाजन की ओवैसी की मांग को लेकर भाजपा के कुछ सदस्यों की उनसे नोक-झोंक भी देखी गई और ओवैसी कहते सुने गए, ‘‘यह मेरा हक है।’’? आगे मत-विभाजन में ओवैसी के संशोधनों को सदन ने खारिज कर दिया। ओवैसी द्वारा पेश संशोधन का समर्थन उनके साथ एआईयूडीएफ, नेशनल कान्फ्रेंस और आईयूएमएल सदस्यों ने भी किया।
विधेयक पारित होने से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि आतंकवाद पर करारे प्रहार के लिए कड़े से कड़े कानून की जरूरत है। कांग्रेस आज कानून में संशोधन के विरोध में है, पर 1967 में तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ही इसे लाई थी।
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एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने यूएपीए कानून के दुरुपयोग के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए बुधवार को लोकसभा में कहा कि सत्ता से बाहर होते ही कांग्रेस मुसलमानों की ‘बिग ब्रदर’ बन जाती है। सदन में ‘विधि-विरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक-2019’ पर चर्चा में भाग लेते हुए ओवैसी ने कहा कि यूएपीए कानून का जो दुरुपयोग हुआ है उसकी असली दोषी कांग्रेस है।
उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में रहते हुए पहले संशोधन विधेयक लेकर आई थी तब भी मैंने इसका विरोध किया था तो कांग्रेस ने कहा कि ‘‘मैं राष्ट्रीय हित नहीं जानता’’। ओवैसी ने दावा किया कि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस का रुख इस तरह का होता है और सत्ता से बाहर होते ही मुसलमानों की ‘बिग ब्रदर’ बन जाती है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार (24 जुलाई, 2019) को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया। कहा कि केंद्र विपक्ष पर हमला करने के लिए 'प्रोपगेंडा' चला रहा है और अपनी 'ट्रोल सेना' का इस्तेमाल कर रहा है।
उनके मुताबिक, "अगर केंद्र को किसी को निशाना बनाना होता है, तब वह कानून की थोड़ी मदद लेता है...विपक्षी नेता, अल्पसंख्यक, कार्यकर्ता और अन्य अगर देश में एक ही तरह की विचारधारा से असहमति जताते हैं, तब विपक्ष को राष्ट्र-विरोधी होने का तमगा दे दिया जाता है।"
लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस की एक सदस्य ने केंद्र सरकार द्वारा पेश ‘विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक, 2019’ को खतरनाक तथा जनविरोधी, संविधान विरोधी करार देते इसे वापस लेने की मांग की, वहीं बीजू जनता दल ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार के कदमों की तारीफ की। ‘विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने विधेयक को वापस लेने की भी मांग की।
उन्होंने कहा कि सदन में किसी भी विधेयक का विरोध करने पर विपक्ष के सदस्यों को राष्ट्रविरोधी करार दे दिया जाता है। हमें विपक्ष में रहने की वजह से यह जोखिम क्यों है? उनकी इस बात का भाजपा के कई सदस्यों ने विरोध किया।
जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्टीकरण की मांग को लेकर एकजुट विपक्ष ने लगातार दूसरे दिन लोकसभा में जमकर हंगामा किया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसी बात पर सदन से वॉक आउट कर दिया। हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ किया कि कश्मीर देश के राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ा विषय है और इस पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का प्रश्न ही नहीं उठता है।
सिंह ने बुधवार (24 जुलाई, 2019) को संसद के निचले सदन में कहा, "जैसा कि एस जयशंकर जी (विदेश मंत्री) भी कह चुके हैं कि कश्मीर मसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी की बैठक में चर्चा नहीं हुई है। इस मुद्दे पर मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि यह शिमला समझौते के खिलाफ है।"
राजनाथ ने आगे बताया कि पाकिस्तान से केवल कश्मीर पर वार्ता नहीं हो सकती, उसके साथ अगर बातचीत होगी तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर भी होगी। इससे पहले, प्रश्नकाल के दौरान भी कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण की मांग करते हुए लोकसभा में हंगामा किया और आसन के समीप आकर नारेबाजी की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामें के बीच ही प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया। प्रश्नकाल समाप्त होने पर कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच ओसाका में बातचीत हुई। अब अमेरिकी राष्ट्रपति कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता करने का आग्रह किया था। अब पूरा देश जानना चाहता है कि सचाई क्या है।
राजनाथ ने सदन में कहा, ‘‘कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का प्रश्न ही नहीं उठता। हम यह सच्चाई समझते हैं कि ऐसी कोई भी बात शिमला समझौते के विपरीत होगी। कश्मीर के सवाल पर इसलिये भी कोई मध्यस्थता हम स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि कश्मीर हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ा विषय है।’’
उनके मुताबिक, राष्ट्रीय स्वाभिमान को लेकर हम किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे। जून में ट्रंप और मोदी के बीच वार्ता हुई थी। इस बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई थी । इस विषय पर जयशंकर का बयान सबसे प्रामाणिक है।