संसदीय समितियों का पुनर्गठन हुआ तो सबसे ज्यादा नुकसान तृणमूल कांग्रेस को हुआ। इस बार किसी भी संसदीय समिति की चेयरमैनशिप ममता की पार्टी को नहीं मिल पाई है। कांग्रेस के लिए राहत की बात रही कि जयराम रमेश को साइंस एंड टेक्नोलॉजी की समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन गृह मंत्रालय की समिति की चेयरमैन शिप कांग्रेस के हाथ से फिसल गई है।
नए घटनाक्रम में बीजेपी के यूपी से राज्यसभा सांसद बृजलाल को गृह मंत्रालय की संसदीय समिति की चेयरमैनशिप दी गई है। जाहिर है कि बीजेपी इतने अहम मंत्रालय को अपनी सीधी निकरानी में रखना चाहती है। उनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह को रेलवे की संसदीय समिति की कमान मिली। बीजेपी के ही बिहार से सांसद विवेक ठाकुर को शिक्षा महिला बाल विकास के साथ युवा व खेल मामलों की समिति की कमान मिली।
लोक सभा का गठन चुनाव से होता है। इसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 है। संविधान में जिक्र है कि 530 सदस्य राज्यों और 20 सदस्य संघ राज्यक्षेत्रों से होंगे। राष्ट्रपति विशेष परिस्थितियों में दो सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं। संसदों को चुने जाने के बाद संसदीय समितियों का गठन किया जाता है। संसद की कार्रवाई में इनकी भूमिका बेहद अहम होती है। समिति सरकार से किसी भी मसले में जवाब तलब कर सकती है।
लोकसभा में सबसे ज्यादा 303 सांसद बीजेपी के हैं। जबकि उसके बाद कांग्रेस के 53 सांसद हैं। तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा एमपी द्रमुक के हैं। स्टालिन की पार्टी से 24 नेता जीतकर लोकसभा पहुंचे। ममता बनर्जी इस मामले में चौथे नंबर पर हैं। उनके सांसदों की संख्या निचले सदन में 23 है। शिवसेना के 19 और जदयू के 16 सांसद हैं। बसपा 10 और बीजद से 12 सांसद जीते हैं।