कर्नाटक के बेंगलुरु में 17 जुलाई को शुरू हुई विपक्षी दलों की बैठक के दूसरे दिन मंगलवार को सीट-बंटवारे पर रोडमैप तैयार करने पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा भाजपा विरोधी समूह को एक नाम, संरचना और एक आम एजेंडा और अभियान कार्यक्रम देने पर भी चर्चा होगी। बैठक की पूर्व संध्या पर विपक्षी नेताओं ने सोमवार को अनौपचारिक बातचीत की और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भी भाग लिया।
बेंगलुरु में संयुक्त विपक्ष की दूसरी बैठक आज सुबह 11 बजे होगी, जिसे लेकर तैयारियां जारी है। सड़कों पर पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं। विपक्षी नेताओं की इस बैठक में 26 दलों के भाग लेने की संभावना है। इस बीच कांग्रेस ने संकेत दिया कि सीट-बंटवारे में समय लगेगा, वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) और सीपीआई (एम) इस बात पर सहमत नहीं थे कि समूह का कोई नाम होना चाहिए या नहीं। सूत्रों के मुताबिक, जहां टीएमसी इसके पक्ष में थी, वहीं सीपीआई (एम) इसके पक्ष में नहीं थी।
क्या होगा आज की बैठक का एजेंडा?
मंगलवार की बैठक का एजेंडा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पढ़ा, जिसमें पार्टियों को वार्ता में अपने सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया गया। मोटे तौर पर एजेंडे में छह प्रस्ताव शामिल हैं – 2024 के आम चुनावों के लिए गठबंधन के लिए एक सामान्य एजेंडा और कॉमन पॉइंट्स का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए अलग-अलग सब कमेटी स्थापित करना।
इसके अलावा रैलियों, सम्मेलनों और आंदोलनों सहित पार्टियों के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम तैयार करना, राज्य दर राज्य आधार पर सीट-बंटवारा तय करना, गठबंधन के लिए एक नाम का सुझाव भी आज की बैठक का एजेंडा होगा। इसके लिए एक कॉमन सचिवालय स्थापित करना, ईवीएम पर चर्चा करना और चुनाव आयोग को सुधारों का सुझाव देना।
हर सीट पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार खड़ा करने का प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दल साझा न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर काम करेंगे और मिलकर आंदोलन करने की योजना की घोषणा करने के साथ ही साझा घोषणापत्र और हर सीट पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार खड़ा करने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। विपक्षी दलों की पिछली बैठक 23 जून को पटना में हुई थी।
विपक्षी गठबंधन को मिल सकता है नया नाम
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मंगलवार को बड़ी घोषणाओं की उम्मीद है, दोपहर तक गठबंधन का नया नाम हो सकता है। हालांकि, वामपंथी नेताओं ने एक साझा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने और लोकतंत्र, संविधान और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के मुद्दों के इर्द-गिर्द एक राजनीतिक अभियान डिजाइन करने की बात काही। इसके साथ ही मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी जैसे आजीविका के मुद्दों पर जन कार्रवाई अभियान पर भी जोर दिया। टीएमसी चाहती है कि इसे वाम शब्दावली में एक वाक्यांश, सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम कहने के बजाय सामान्य मुद्दों और बातचीत के बिंदुओं की पहचान के रूप में तैयार किया जाए।
एनडीए में पीएम मोदी की तुलना में विपक्षी खेमे में स्पष्ट नेता की कमी पर AICC जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने कहा कि 2024 के चुनाव में नेतृत्व से ज्यादा मुद्दे महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त नेता हैं जिन्होंने विभिन्न क्षमताओं में अपनी प्रतिभा साबित की है। नेतृत्व की चिंता मत करो, यह देश के हालात की चिंता करने का समय है।