Assam CM Himanta Biswa Sarma: ‘मियां-मुसलमानों’ को असम पर कब्जा नहीं करने देंगे।’ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह बात मंगलवार को कही। उन्होंने विधानसभा में कहा कि कांग्रेस को जितना चिल्लाना और चीखना है वो कर ले, लेकिन मैं असम को ‘मियां भूमि’ नहीं बनने दूंगा। सरमा के इस बयान के बाद राजनीति गर्म हो गई।

असम के मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद कई विपक्षी दलों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें उन पर धर्म और जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है। गुवाहाटी ईस्ट के डीसीपी मृणाल डेका ने पुष्टि की कि दिसपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत प्राप्त हुई है, लेकिन बुधवार शाम तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी।

यह शिकायत असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा और असम जातीय परिषद के लुरिनज्योति गोगोई ने संयुक्त विपक्षी मंच की ओर से दायर की थी। संयुक्त विपक्षी मंच भाजपा और उसके सहयोगियों का विरोध करने वाले विभिन्न संगठनों का एक छत्र संगठन है। शिकायत दर्ज कराने गए नेताओं में निर्दलीय राज्यसभा सांसद अजीत भुइयां, असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया और कांग्रेस के धुबरी सांसद रकीबुल हुसैन भी शामिल थे।

इसमें नेताओं ने सरमा पर राज्य में अशांति पैदा करने के लिए “आपराधिक साजिश” का आरोप लगाया और कहा कि जब तक उन्हें गिरफ्तार या रोका नहीं जाता, राज्य में दंगा जैसी स्थिति हो सकती है। उन्होंने अनुरोध किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक साजिश और भारतीय न्याय संहिता के विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए एफआईआर दर्ज की जाए।

विपक्षी दलों ने यह आरोप औऱ शिकायत ऐसे वक्त की। जब असम के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव है। जिसमें 22 अगस्त को नागांव जिले में एक 14 वर्षीय लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के बाद विवाद बढ़ गया था। सरमा और उनके कई मंत्रियों ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई। यहां तक की मुख्य आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत के मामले ने भी तूल पकड़ा। वहीं विपक्षी दलों की शिकायत में घटना के साथ-साथ शिवसागर जिले में चल रहे सांप्रदायिक तनाव का भी जिक्र है।

शिकायत में कहा गया है, “आपको पता होगा कि ढिंग (नागांव) की एक युवती के साथ बलात्कार की जघन्य घटना के खिलाफ पूरे असम में गुस्सा है। इस जघन्य कृत्य का फायदा उठाकर आरोपी व्यक्ति एक खास समुदाय को निशाना बनाकर सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की कोशिश कर रहा है, जिसके कारण शिवसागर (जिले) में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों पर हमला किया गया।” इसमें आगे कहा गया है: “यह राज्य में दंगे जैसी स्थिति पैदा करने की साजिश के तहत किया गया है और आरोपी हिमंत बिस्वा सरमा और अन्य भाजपा नेता ऐसी अशांति पैदा करने की आपराधिक साजिश का हिस्सा हैं।” शिकायतकर्ताओं के अनुसार, सरमा का “एक खास समुदाय को निशाना बनाकर भड़काऊ बयान देने का इतिहास रहा है”, पिछले साल मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी का जिक्र करते हुए कि वह गुवाहाटी के फुटपाथों से “मिया ” सब्जी विक्रेताओं को “खाली” कर देंगे।

बता दें, “मिया” बंगाली-मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है। शिकायत में पिछले हफ़्ते की एक घटना का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें सीएम ने एक रिपोर्टर पर उसकी धार्मिक पहचान को लेकर कटाक्ष किया था।

शिकायत में कहा गया है, “एक साल पहले, उन्होंने लोगों से एक धार्मिक समुदाय (जिन्हें उन्होंने ‘मिया’ कहा था) से जुड़े लोगों को गुवाहाटी से बेदखल करने की अपील की थी। धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ अपने हमले को जारी रखते हुए आरोपी व्यक्ति ने 4-8-2024 को शाह आलम नामक एक पत्रकार को स्पष्ट सांप्रदायिक इशारे के साथ निशाना बनाया।” इसमें मुख्यमंत्री के उस बयान का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि नागांव की घटना “ज़मीन हड़पने और असमिया लोगों की पहचान को ख़तरे में डालने के बड़े इरादे” का हिस्सा थी।

शिकायत में आगे कहा गया है, “सार्वजनिक रूप से इस तरह की लगातार बकवास से विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा होने की संभावना है… अगर ऐसे व्यक्ति को तुरंत गिरफ़्तार नहीं किया गया और उसे रोका नहीं गया, तो वह राजनीतिक फ़ायदा उठाने के लिए राज्य में दंगे जैसी स्थिति पैदा कर सकता है।”

(सुकृता बरुआ की रिपोर्ट)