कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा। अब तक इन तीन कानूनों को लेकर प्रदर्शन को सात महीने हो चुके हैं, लेकिन जहां सरकार सिर्फ कानून के प्रावधानों पर चर्चा के लिए तैयार है, वहीं किसानों का साफ कहना है कि वे इसे वापस लिए बिना कोई चर्चा नहीं करेंगे। शनिवार को इस मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया और कहा कि 1975 का आपातकाल तो एक बार सामान्य लोकतांत्रिक का अपवाद था, लेकिन आज तो वही अपवाद सामान्य हो चुका है।
दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी आपातकाल की बात करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट में कहा, “किसान का इलाज संसद में और सरकार का इलाज गांव में होगा।” इसके साथ ही उन्होंने एक पोस्टर भी शेयर किया, जिसमें लिखा था, “26 जून 1975 घोषित आपातकाल और अब देश में लगा है अघोषित आपातकाल।”
टिकैत के इसी पोस्टर में आगे लिखा गया- “आपातकाल की वर्षगांठ पर वर्तमान में अघोषित आपातकाल के चलते 26 जून को राजभवन का घेराव कर माननीय राज्यपाल को समस्ता किसान ज्ञापन सौंपेंगे।” उधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मौके पर ट्वीट में लिखा, “सीधी-सीधी बात है- हम सत्याग्रही अन्नदाता के साथ हैं।”
किसानों के देशभर में राज्यपालों को ज्ञापन सौंपने की इस मुहिम पर राकेश टिकैत के भतीजे और भारतीय किसान यूनियन के यूथ विंग के अध्यक्ष गौरव टिकैत का भी बयान आया है। उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर से कहा कि हमारा यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा। बता दें कि गौरव टिकैत भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत के बेटे हैं। कई बार अपने पिता और चाचा की गैरमौजूदगी में गौरव गाजीपुर बॉर्डर पहुंचकर किसानों में जोश भरते हैं।
चाचा को संघर्ष करते देख किया साथ आने का फैसला, पर राजनीति से नाता नहीं: गौरव टिकैत के मुताबिक, उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। फिलहाल वे एलएलबी की तैयारी कर रहे हैं। गौरव का कहना है कि जब उन्होंने अपने चाचा राकेश टिकैत को गाजीपुर बॉर्डर पर संघर्ष करते देखा तो उनके साथ आने का फैसला किया। गौरव का स्पष्ट कहना है कि उनका फिलहाल किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है। लेकिन वे पिता और चाचा से नेतृत्व के गुर सीख रहे हैं।