देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर आज कांग्रेस का पारा सातवें आसमान पर था। वजह, संसद भवन पर पंडित नेहरू के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कोई मंत्री नहीं पहुंचा। यहां तक कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और राज्यसभा स्पीकर वैंकेया नायडू भी शामिल नहीं हुए। नेहरू का जन्म 1889 में हुआ था और वह सबसे लंबे समय तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहे। 14 नवंबर को उनकी जयंती होती है।

राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप जयराम रमेश ने ट्वीट कर अपने गुस्से का इजहार किया। उनका कहना था कि आज संसद में अनोखा सीन दिखा। लोकसभा, राज्यसभा के स्पीकर तक पंडित नेहरू के जयंती प्रोग्राम में शिरकत करने नहीं पहुंचे। यहां तक कि कोई सीनियर मंत्री भी वहां मौजूद नहीं था। तृणमूल के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उनकी पोस्ट को टैग कर लिखा- ये कोई भौचक करने वाली घटना नहीं है। ये लोग भारत के संस्थानों को खत्म कर रहे हैं। यहां तक कि संसद को भी।

रविवार सुबह संसद भवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्य मंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा ने सरकार की ओर से शिरकत की। उनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कार्यक्रम में मौजूद थे। सोनिया, राहुल गांधी सहित अनेक नेताओं ने रविवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शांतिवन में नेहरू को पुष्पांजलि अर्पित की वहीं पार्टी के कई अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि नेहरू सच्चाई, एकता और शांति को बेहद महत्व देते थे।

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित की और देश के प्रथम प्रधानमंत्री को याद किया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि नेहरू ने भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाने में अहम भूमिका निभाई।

पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हम उस लोकतंत्र की संतान हैं जिसे उन्होंने सहेजा, संवारा है। उन्होंने भविष्य के संस्थानों का निर्माण किया। वह विविधता के पक्षधर थे और यही हमारी ताकत है। उन्होंने कहा- हमें इस बात पर चिंता करनी चाहिए कि वह जिस चीज के लिए खड़े हुए,उसे धीरे-धीरे करके समाप्त किया जा रहा है।