भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट करने की कोशिश के तहत जनता परिवार के बिखरे समूहों की एकता की वकालत कर रहे जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने कहा है कि एक जैसे सिद्धांत एवं विचारधारा वाली सभी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए ताकि देश के लिए खतरनाक भगवा पार्टी की ‘‘विभाजनकारी’’ विचारधारा का मुकाबला किया जा सके।
धर्मांतरण एवं अन्य विवादों से जुड़े सवालों के जवाब देते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसे (भाजपा को) अलग-थलग करना होगा क्योंकि इसकी विचारधारा देश के लिए ज्यादा खतरनाक है। हमें एकजुट होकर साथ आना चाहिए। भाजपा की विचारधारा मुख्यधारा की विचारधारा नहीं है। उनका मकसद समाज को बांटना है। दूसरों को एकजुट होने की जरूरत है।’’
एमपी वीरेंद्र कुमार की अगुवाई वाली समाजवादी जनता (लोकतांत्रिक) पार्टी के जदयू में विलय के सिलसिले में यहां पहुंचे नीतीश ने कहा कि समाज को बांटने वाली भाजपा की सांप्रदायिक नीतियों के प्रतिरोध के लिए एक जैसे सिद्धांत एवं विचारधारा के लोगों को एक साथ आना चाहिए। लिहाजा, सभी समाजवादी पार्टियों का विलय हो रहा है।’’
जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि समाजवादी आंदोलन एवं जनता पार्टी में हुई टूट की देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी है क्योंकि इससे भाजपा का उदय हुआ।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह भाजपा के मुकाबले के लिए कांग्रेस को अपने साथ लाने की कोशिश करेंगे, इस पर यादव ने कहा, ‘‘अब हम सभी बिखरे समूहों के महाविलय पर ध्यान दे रहे हैं। विलय के बाद हम समाजवादी आंदोलन के विकास के लिए सभी अनुकूल विकल्पों को आजमाना चाहेंगे और भाजपा की विचारधारा को विकसित होने से रोकेंगे।’’
वाम दलों के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि उनके साथ राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे संबंध हैं और ‘‘वे स्वाभाविक सहयोगी हैं।’’
जदयू अध्यक्ष ने कहा कि समाजवादी नेताओं की तरफ से कहीं न कहीं चूक हुई जिसकी वजह से भारत जैसे देश में इच्छित विकास नहीं हो सका जहां की आबादी में गरीब और मजदूर बड़ी संख्या में हैं और भाजपा ने इसी कमी का फायदा उठाया।
यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘टूट के बाद लोगों का एक बड़ा तबका भाजपा में शामिल हो गया।’’ उन्होंने कहा कि अब उन्हें भाजपा में शामिल होने की अपनी भूल का अहसास हुआ है और वे समाजवादी संगठनों में वापस आने लगे हैं।
धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए नीतीश ने कहा कि उन्हें संसद में सरकार का रुख साफ करना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं करना चाहते।’’