देश भर में कोरोना महामारी के चलते हर तरफ परेशानी बनी हुई है। लोगों को वैक्सीन, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड्स की कमियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे हालात में लोगों की सरकारों से शिकायत है कि वे लोगों की जरूरतों को पूरी नहीं कर पा रही हैं तो दूसरी तरफ बिहार और यूपी की सीमा पर एंबुलेंस से लाशें लाकर नदीं में फेंकी जा रही है। इन सब मुद्दों पर टीवी डिबेट के दौरान राजनीतिक दलों के प्रवक्ता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप ही लगाते रहे।

टीवी चैनल न्यूज-24 पर एंकर संदीप चौधरी ने सबसे बड़ा सवाल कार्यक्रम में पूछा कि सरकारें आलोचना क्यों नहीं सुनना चाहती हैं। कहा कि सरकार आम जनता को डेटा की सही जानकारी क्यों नहीं देती है। इस पर भाजपा के प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल ने कहा कि सरकार अपना काम जिम्मेदारी से कर रही है, लेकिन विपक्ष ने भ्रम फैलाया। इसकी वजह से लोगों में घबराहट फैली। सरकार सबको सनती है और सबके सुझाव को मानती है, लेकिन विपक्ष की कुछ पार्टियां जनता की मदद करने के बजाए उनको सरकार के प्रति गुमराह करने में लगी हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष ने कहा, “हम सामूहिक रूप से आम जनता के लिए क्यों नहीं सोच रहे हैं। गंगा में रोजाना लाशें मिल रही हैं और हम चुपचाप बैठे हुए हैं। क्या हमें सामूहिक रूप से शोक नहीं मनाना चाहिए।”

आशुतोष ने कहा कि लोकतंत्र में सवाल पूछा जाएगा और जवाब भी मांगा जाएगा। जो काम भारत सरकार को करनी चाहिए, उसे कोर्ट कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था की देखरेख के लिए 12 लोगों की टास्क फोर्स बनाई। उसका कन्वीनर कैबिनेट सेक्रेटरी को बनाई। यह सरकार के लिए नो कांफिडेंस मोशन है। देश के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। वह न सुन रही और न काम कर रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है। संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था आए दिन इसका आकलन करती है क्या सार्स सीओवी-2 के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने और गंभीरता के लिहाज से बदलाव आए हैं या राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा लागू जन स्वास्थ्य और सामाजिक कदमों में बदलाव की आवश्यकता है।

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान विज्ञप्ति में बी.1.617 को चिंताजनक स्वरूप (वीओए) बताया। चिंताजनक स्वरूप वे होते हैं जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है। कोरोना वायरस का मूल स्वरूप पहली बार 2019 के अंतिम महीनों में चीन में देखा गया था।