दिल्ली के जेएनयू परिसर में फीस वृद्धि आंदोलन और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 5 जनवरी को नकाबपोश लोगों के बवाल करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने पांच दिन बाद ही “नौ संदिग्ध लोगों” के नाम जारी किए थे। हालांकि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की विशेष जांच टीम (SIT) एक महीने बाद एक भी हमलावर को अब तक सबूत के साथ पहचान नहीं कर पाई है।
एसआईटी की 20 सदस्य परिसर में ही कैंप करके लगातार मामले की जांच-पड़ताल कर रहे हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि “टीम ने अब तक 67 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। इसमें 10 संदिग्ध भी शामिल हैं, जिनकी तस्वीर एसआईटी के मुखिया डीसीपी जॉय टिर्की ने जारी की थी। टीम ने घायल छात्रों, शिक्षकों, वार्डेन्स और सुरक्षा गार्डों के अलावा उन छात्रों से भी पूछताछ की जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।”
सूत्रों के मुताबिक अधिकतर बयानों में एक ही बात कही गई है, “हमलावर नकाबपोश थे और वे उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं।” एक अधिकारी ने बताया, “कुछ घायल छात्रों ने आरोप लगाया है कि वामपंथी संगठन से जुड़े छात्रों ने उनकी पिटाई की। विरोधी पक्ष ने भी ऐसा ही आरोप लगाया है। उनसे पूछताछ के बाद करीब नौ लोगों के नाम सामने आए और हमने उनसे भी पूछताछ की। लेकिन हमारे पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। हम सबूत जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनसे हिंसा में उनकी मिलीभगत साबित हो सके।”
सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान कैंपस में लगे सीसीटीवी फुटेज का बैकअप मिला है, और एसआईटी फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) के एक्सपर्ट की मदद से उसके डेटा निकाले हैं। अधिकारी ने कहा, “फुटेज FSL एक्सपर्ट को दिए गए हैं। पुलिस ने कई छात्रों के ईमेल और व्हाट्सअप ग्रुप ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ और ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ के एड्रेस देने के बाद उनके संदेशों, पिक्चर्स और वीडिओ के डिटेल्स देने के लिए गूगल को भी एक पत्र भेजा है।”
एसआईटी ने 5 जनवरी को जेएनयू परिसर में हिंसा मामले में छात्र अक्षत अवस्थी और रोहित शाह से पूछताछ की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, “उन लोगों से अलग-अलग तीन घंटे तक पूछताछ की गई थी और दोनों ने किसी भी प्रकार की हिंसा में खुद के शामिल होने से इंकार किया था। उन्हें एक टीवी न्यूज चैनल द्वारा स्टिंग ऑपरेशन किए जाने के बाद एसआईटी ने उन्हें बुलाया, जिसमें जेएनयू के प्रथम वर्ष के दोनों छात्रों ने एबीवीपी के सदस्य होने का दावा किया और हिंसा में अपनी भूमिका को ‘कबूल’ किया।”
पूछताछ के दौरान दोनों ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि उनसे कुछ लोगों ने संपर्क किया था, जिन्होंने उन्हें छात्रसंघ में एक बड़ा पद दिलाने में मदद करने का आश्वासन दिया था और उनसे घटना में उनकी भूमिका के बारे में पूछा था। “अवस्थी ने पुलिस के सामने दावा किया कि जब साबरमती हॉस्टल में हमला हुआ था तो वह अपने कमरे में सो रहा था। बस आत्म-प्रशंसा पाने के लिए उन्होंने बढ़ा-चढ़ा कर बता दिया। उन्होंने पुलिस को यह भी सूचित किया कि उन्होंने स्टिंग ऑपरेशन कर उन्हें धोखा देने के लिए टीवी न्यूज चैनल के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है।