राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपना अलग शिक्षा बोर्ड होगा। यह ऐलान शनिवार (छह मार्च, 2021) को एक कैबिनेट बैठक के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसका ऐलान किया। इस बैठक में दिल्ली कैबिनेट ने ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ के गठन को मंजूरी दी है।
उन्होंने इसके साथ ही बताया, “बजट का 25 फीसदी हिस्सा एजुकेशन पर खर्च किया जाएगा। रटने के बजाय अब समझाने और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट पर जोर दिया जाएगा।” सीएम के अनुसार, दिल्ली में करीब एक हजार सरकारी और 1700 निजी स्कूल हैं। सभी सरकारी स्कूलों और अधिकतर प्राइवेट स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं। 2021-22 अकादमिक सत्र में हम इस बोर्ड में 20 से 25 स्कूलों को शामिल करेंगे।
बकौल केजरीवाल, “उन स्कूलों की सीबीएसई द्वारा मान्यता खत्म कर दी जाएगी और उन्हें दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तहत मान्यता दी जाएगी। प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और अभिभावकों से चर्चा किए जाने के बाद स्कूलों के नाम तय किए जाएंगे। हमें उम्मीद है कि सभी स्कूल इसमें चार से पांच साल के भीतर मान्यता पा लेंगे।”
दिल्ली सीएम ने बताया, बोर्ड में गवर्निंग बॉडी भी होगी, जिसकी अध्यक्षता शिक्षा मंत्री करेंगे। रोज के कामों के लिए इसमें एक कार्यकारी इकाई भी होगी, जिसका मुखिया एक सीईओ रहेगा। दोनों ही इकाइयों में उद्योग, शिक्षा जगत के एक्सपर्ट्स, सरकारी और निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य और नौकरशाह शामिल होंगे।
इसी बीच, AAP के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से लिखा गया, “‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ की स्थापना दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन को नई ऊंचाइयों की तरफ़ लेकर जाएगा।”
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— AAP (@AamAadmiParty) March 6, 2021
AAP सरकार के मुताबिक, दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए:
पहला- शिक्षा पर 25% बजट खर्च करना शुरू किया।
दूसरा- बच्चों को विदेश में ओलंपियाड में भेजा
तीसरा- टीचर्स, प्रिंसिपल को विदेश ट्रेनिंग के लिए भेजा
चौथा- मिशन बुनियाद, हैप्पीनेस करीकुल्लम शुरू किया।