नरेंद्र मोदी सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर फिलहाल हटे हैं। बुजुर्ग, पूर्व सैनिक, महिलाओं और सेलेब्स के अलावा आंदोलनरत किसानों को बच्चों का भी समर्थन मिला है। अन्नदाताओं के समर्थन में ऐसे ही एक नन्हें-मुन्ने सिपाही हैं- अंगद सिंह।
मूलरूप से राजस्थान के भरतपुर के हैं। तीसरी कक्षा मे पढ़ने वाले आठ साल के अंगद भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राकेश टिकैत के एक कैंप में हाल में नजर आए। उन्हें जब वहां देख मीडिया वालों ने सवाल-जवाब किए तो वे धड़ाधड़ कृषि कानूनों के कथित नुकसान गिनाने लगे और बोले कि सरकार बताए कि किसानों को कब और कहां आना है? गुरुवार को हिंदी खबरिया चैनल न्यूज 24 से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह किसान आंदोलन मे अपनी भागीदारी दर्ज कराते हुए गाजीपुर बॉर्डर के अलावा अन्य सभी बॉर्डर्स (आंदोलन के केंद्र बने) पर जा चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि यह आंदोलन क्यों हो रहा है? बच्चे का जवाब आया- किसान इसे अपने हक के लिए चला रहे हैं। वे चाहते हैं कि तीन काले कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी की गारंटी दी जाए।
“कानून तो कानून होता है, इसमे काला और गोरा क्या?” इस सवाल पर सिंह ने कहा, “सबसे पहला कानून है- मंडी को लेकर। दूसरा कानून है- स्टोरेज का और तीसरा कानून है- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर। पहला कानून है कि किसान कहीं भी समान बेच सकता है, लेकिन किसान अपने पास की मंडी मे नहीं जाकर टोल का पैसा देकर कहीं और गाड़ी कर के क्यों जाएगा? अगला प्वॉइंट है- स्टोरेज पर। पहले एक सीमा थी कि इस से अधिक आप स्टोर नहीं कर सकते…फसल को और अब स्टोरेज लिमिट हट चुकी है। कहते हैं कितना भी स्टोर कर सकतें हैं। जब बड़े उद्योगपति सामान स्टोर कर लेंगे तो भूख की बोली लगेगी और छोटे छोटे पैकेट मे आटा बिकेगा। तीसरा कानून है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का तो कंपनी किसान के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके एक रेट तय करेगी पर जो किसान कॉन्ट्रैक्ट के तेहत फार्मिंग नहीं करना चाहता उसकी फसल की रेट तो तय ही नहीं है।
आगे आठ वर्षीय लड़के ने यह भी बताया कि एमएसपी क्या होती है। उसने कहा कि Minimum Support Price फसल की वह तय रेट होता है, जैसे अभी 1800₹ है तो ऐसे MSP तय करने के बाद उस रेट से नीचे फसल नहीं बिकेगी और यह सरकार की गारंटी होती है। सरकार से बात न हो पाने के मुद्दे पर अंगद बोले- हमें जगह, टाइम और चिट्ठी दे दें, हम बात करने जाएंगे।
देखें, बच्चे ने और क्या कहाः
बच्चे ने बताए कृषि कानूनों के नुकसान, बोला-
“सरकार बताए बात करने के लिए कब और कहां आना है” @RakeshTikaitBKU @PMishra_Journo #FarmersProtest #किसान_आंदोलन pic.twitter.com/KuAHTmzpvQ
— News24 (@news24tvchannel) July 29, 2021