PM Modi Lok Sabha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में गांधी परिवार पर जमकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि मैं कुछ तथ्यों को रखना चाहता हूं, कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मैं इसलिए परिवार का उल्लेख करता हूं, क्योंकि 55 साल एक ही परिवार ने राज किया था। इसलिए देश को क्या-क्या हुआ है, यह जानने का पूरा अधिकार है। और इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति, यह परंपरा लगातार चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है।

पीएम मोदी ने कहा कि 1947 से 1952 तक इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी, एक अस्थाई व्यवस्था थी, एक सेलेक्टिव सरकार थी। और चुनाव नहीं हुए थे, जब तक चुनाव नहीं हुए, अंतरिम सरकार का खाका बनाया गया था। 1952 के पहले तो राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था। राज्यों में भी कोई चुनाव नहीं हुए थे, लेकिन उसके बावजूद भी , 1951 में एक अध्यादेश के जरिए संविधान को बदल दिया था। उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर बड़ा हमला किया गया। यह संविधान निर्माताओं का भी अपमान था, लेकिन उनकी जब नहीं चली तो जैसे ही मौका लगा, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर हथौड़ा मार दिया, उन्होंने संविधान निर्माताओं का अपमान किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दरवाजे से उन्होंने वो सब किया जो वैसे नहीं कर पाते। इतना ही नहीं, उसी दौरान उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी थी। उसमें कहा था कि अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए, तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए। यह सीएम को चिट्ठी लिखी गई थी। और फिर एक और पाप हुआ, राष्ट्रपति राजेंद्रर प्रसाद ने बोला था कि यह गलत हो रहा है, तब स्पीकर पद पर बैठे शख्स ने भी बोला था कि नेहरू जी गलत कर रहे हो, सभी महान कांग्रेसी नेताओं ने पंडित नेहरू को रुकने के लिए कहा था। लेकिन उनका तो अपना संविधान चलता था, उन्होंने किसी की बात नहीं मानी।  इंदिरा गांधी ने भी उन्हीं की परंपरा को आगे बढ़ाया था।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं तो यहां पर संविधान की बात कर रहा हूं। इमरजेंसी में लोगों के अधिकार छीने गए, हजारों लोगों में जेल में डाला गया, अखबार की स्वतंत्रता पर ताले लगे। इतना ही नहीं समझौते वाली अदालत जैसी विचारधारा को उन्होंने ताकत दी। जिस जज ने इंदिरा के खिलाफ फैसला सुनाया, उन्हें चीफ जस्टिस तक बनने नहीं दिया गया। यहां भी कई ऐसे दल बैठे हैं, जिनके मुखिया भी जेल में हुआ करते थे, आज मजबूरी है कि वे यहां साथ बैठे हैं। देश में जब जुर्म का तांडव चल रहा था, लाठियां बरसाई जाती थीं। तब की सरकार संविधान को चूर-चूर करती रही।

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उन्होंने कहा कि यह परंपरा यही पर नहीं रुकी, नेहरू ने जो शुरू किया था, जिसे इंदिरा गांधी ने आगे बढ़ाया, इसी वजह से राजीव गांधी की सरकार उस वृद्ध महिला से हक छीन लिया था जिसे कोर्ट ने हक दिया था। शाहबानो की भावना, कोर्ट की भावना को राजीव गांधी ने नकार दिया था, उन्होंने संविधान को कुचल दिया था। उन्होंने न्याय के लिए एक बूढ़ी महिला का साथ नहीं दिया बल्कि कट्टरपंथियों के साथ चले गए, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। लेकिन बात यहां पर नहीं रुकी। संविधान के साथ खिलवाड़ करने का लघु उनके मुंह पर लग चुका था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी वजह से अगली पीढ़ी भी ऐसे ही आगे बढ़ी। पीएम मोदी ने कहा कि मैं एक किताब को कोट करता हूं, उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोट करते हुए कहा गया कि मुझे स्वीकार करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है, सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। इन लोगों ने संविधान को हर मौके पर अस्वीकार किया, उनकी आदत ही ऐसी बन चुकी थी। दुर्भाग्य तो यह है कि एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दे, फिर कैबिनेट पर भी उस फैसले को बदल दे। मैं जो कुछ भी कह रहा हूं, संविधान के साथ जो हुआ, सिर्फ उसका जिक्र रहा हूं। मेरे मन के विचार यह नहीं हैं।

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