NEET Paper Leak: मेडिकल के एंट्रेस एग्जाम नीट के पेपर लीक और रिजल्ट के विवाद पर पूरे देश मे केंद्र सरकार और एनटीए के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। नीट पेपर लीक की घटना बिहार से सामने आई थी, बिहार पुलिस इस केस की जांच कर रही है। नीट पेपर लीक कांड की पोल एक फोन कॉल से खुल गई थी, जिसके बाद शक के घेरे में कई बड़े नाम भी आ गए हैं। जानकारी के मुताबिक 5 मई को परीक्षा शुरू होने से करीब तीन घंटे पहले यह कॉल आया था और इसी फोन कॉल ने पेपर लीक की पूरे इनसाइड स्टोरी सामने रख दी।
दरअसल, राजधानी पटना के शास्त्री नगर पुलिस को एक फोन आया, जिसमें फोन करने वाले ने अपना नाम तो नहीं लेकिन कहा कि चार अपराधी एक एसयूवी से अपने ठिकाने की तरफ जा रहे हैं। ऐसे में थाने की टीम ने फोन पर मिली सूचना पर तुरंत एक्शन लिया और एसयूवी में सवार चारों लोगों को पकड़ लिया।
पुलिस की पूछताछ में सामने आए 30 कैंडिडेट
पकड़े गए लोगों से जब जोर देकर पूछताछ की गई, तो वे पुलिसवालों को एक दूसरी जगह ले गए, जहां NEET-UG में शामिल होने वाले 30 उम्मीदवारों को ठहराया गया था। इन लोगों ने कथित तौर पर नीट के लीक पेपर और उसके जवाबों के लिए 30 से 50 लाख रुपये दिए थे। पुलिस ने कहा कि इन सभी लोगों को राम कृष्ण नगर में रखा गया था, जहां उनसे रातभर में सारे जवाब याद कराए गए थे।
पटना पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक एसयूवी से गिरफ्तार इन चारों लोगों को रातभर में छात्रों को सभी जवाब याद कराने थे और फिर उन्हें उनके एग्जाम सेंटर पर छोड़ने का काम सौंपा गया था। इस केस में पहली गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कई जगहों पर रेड मारी, वहां पुलिस को सेफ हाउस में 13 रोल नंबर मिले, फिर करीब घंटेभर के अंदर, पुलिस की कई टीमें NEET के परीक्षा केंद्रों पर पहुंच गई थी।
13 लोगों की ली थी हिरासत
पुलिस ने वहां से चार छात्रों को पकड़ा और उनसे पूछताछ के बाद उन्हें दानापुर नगर परिषद में जूनियर इंजीनियर सिकंदर यादवेंदु सहित नौ और नाम मिले। यादवेंदु ने कथित तौर पर 4 मई को उम्मीदवारों को याद करने के लिए नीट के प्रश्नपत्र और उत्तर दिए थे। इसके बाद 6 मई को पुलिस ने यादवेंदु के फ्लैट से जले हुए प्रश्नपत्र बरामद किए और फिर अगले दिन, कुछ छात्रों के पेरेंट्स समेत 13 लोगों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद मामले को EOU को सौंप दिया गया।
एक दिन पहले कहां से मिला था नीट का पेपर
EOU यूनिट के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों की लीडरशिप में जांच शुरू की गई तो पूछताछ में यादवेंदु और पेपर लीक के पीछे कथित तौर पर शामिल दो अन्य आरोपियों, नीतीश कुमार और अमित आनंद ने लीक की बात कबूल कर ली। अमित और नीतीश को परीक्षा से एक दिन पहले 4 मई को हजारीबाग के एक नीट परीक्षा केंद्र से उनके वॉट्सएप पर प्रश्नपत्र मिले थे। इस विवाद को जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पेपर्स की प्रश्नपत्रों की फोटोकॉपी अभ्यर्थियों को दी गई और उन्हें उत्तर याद करने के लिए कहा गया। डुप्लिकेट प्रश्नपत्रों को बाद में सुबह एकत्र किया गया और जला दिया गया।
कैसे हुआ ये पूरा खेल, प्रोफेसर पर शक
जानकारी के मुताबिक EOU के रडार में एक प्रोफेसर भी है। सूत्र बताते हैं कि जो जला हुआ प्रश्नपत्र मिला था, उसका बुकलेट नंबर 61,36,488 है जो कि हजारीबाग के एक सेंटर का है। माना जा रहा है कि एक प्रोफेसर के नंबर से संजीव मुखिया के मोबाइल पर यह प्रश्नपत्र आया था. फिर इस प्रश्नपत्र को रांची के रिम्स हॉस्पिटल के 10 डॉक्टर और पटना के दो सॉल्वर्स ने मिलकर हल किया, फिर इस हल किए हुए प्रश्नपत्र के साथ आंसर सीट को करायपरसूराय इलाके के रहने वाले चिंटू के मोबाइल पर भेजा गया। जिसके बाद पेपर और आंसरशीट के प्रिंट कराकर लर्न प्ले स्कूल में पहले से मौजूद परिक्षर्थियों को रटने के लिए बांटा गया।