एनसीपी नेता शरद पवार का कहना है कि सरकार को किसानों के आंदोलन को गंभीरता से लेना चाहिए। संवाद होना चाहिए और समाधान होना चाहिए। उन्होंंने कहा, ‘मुझे पता चला है कि कुछ लोगों ने आत्महत्याएं भी की हैं। अगर इस तरह के हालात बन रहे हैं तो ये देश के लिए अच्छा नहीं है।”
बता दें कि केंद्र सरकार ने किसानों को एक बार फिर से बातचीत करने के लिए बुलाया है। बुधवार को दोपहर 2 बजे किसान और सरकार फिर से बात करेंगे। ये छठां मौका होगा जब केंद्र और किसानों के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए बातचीत की जाएगी। मामले में सुप्रीम कोर्ट भी दोनों पक्षों को कह चुका है कि बातचीत से समाधान किया जाए। गौरतलब है कि किसान लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमा पर कृषि कानूनों के विरोध में डेरा डाले हुए हैं।
अभी तक सारी बातचीत बेनतीजा रही है दोनों ही पक्ष अपनी बातों पर अड़े हुए हैं। जहां किसान कानूनों की वापसी से कम कुछ नहीं चाहते हैं तो वहीं सरकार संशोधन से ज्यादा किसानों को कुछ देना नहीं चाहती है।
आज कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि देशभर में इन कानूनों को किसान पसंद कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि विरोध कर रहे किसानों की समस्याओं का भी जल्द समाधान किया जाएगा। तोमर ने कहा कि कुछ लोग किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं हरियाणा में कृषि कानूनों को लेकर लोगों में इतना गुस्सा है कि कई गांवों में तो सतारूढ़ बीजेपी और जजपा के नेताओं का बहिष्कार किया जा रहा है। गांवों के बाहर पोस्टर लगाए जा रहे हैं कि जो बीजेपी और जजपा के साथ है उसका गांवों में आना मना है। यहां तक कि सीएम खट्टर और डिप्टी सीएम चौटाला का भी लोग बहिष्कार कर रहे हैं।
इससे पहले चौटाला ने किसानों से कहा था कि वें केंद्र सरकार के साथ बातचीत का रास्ता चुनें। बता दें कि कृषि कानून के चलते शिरोमणि अकाली दल और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी पहले ही एनडीए छोड़ चुके हैं। मामले में केंद्र विपक्ष को किसानों को गुमराह करने के लिए जिम्मेदार बता रहा है।