अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए देश के कई नदियों और सरोवरों का जल लाया गया है। इस जल से भगवान का अभिषेक किया जा रहा है। इस बीच पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित शारदा पीठ कुंड का जल भी अयोध्या लाया गया है। इस जल को वहां के एक मुस्लिम श्रद्धालु ने एकत्र करके ब्रिटेन के रास्ते अयोध्या भेजा है। भारत और पाकिस्तान के बीच डाक सेवाओं के बंद होने की वजह से जल को पहले कूरियर से ब्रिटेन भेजा गया, फिर वहां से उसे अयोध्या भेजा गया।

सेव शारदा कमेटी कश्मीर के सदस्यों ने निभाई बड़ी भूमिका

इस बारे में ‘सेव शारदा कमेटी कश्मीर (SSCK)’ के संस्थापक रविंदर पंडित ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया ‘‘पीओके में शारदा पीठ के शारदा कुंड का पवित्र जल तनवीर अहमद और उनकी टीम ने एकत्र किया है। एलओसी (नियंत्रण रेखा) के पार सिविल सोसाइटी के हमारे सदस्य इसे इस्लामाबाद ले गए, जहां से इसे ब्रिटेन में उनकी बेटी मगरिबी को भेजा गया।’’

शनिवार को पवित्र जल अयोध्या में वीएचपी को सौंपा गया

उन्होंने कहा, ‘‘मगरिबी ने इसे कश्मीरी पंडित कार्यकर्ता सोनल शेर को सौंप दिया, जो अगस्त 2023 में भारत के अहमदाबाद आई थीं। वहां से यह दिल्ली में मेरे पास पहुंचा।’’ उन्होंने कहा कि पवित्र जल को यूरोप तक की यात्रा करनी पड़ी क्योंकि बालाकोट अभियान के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच डाक सेवाएं अस्थायी रूप से बंद हैं। रविंदर ने कहा कि ‘सेव शारदा कमेटी कश्मीर (SSCK)’ सदस्य मंजूनाथ शर्मा ने पवित्र जल विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेताओं को सौंपा, जिन्होंने इसे शनिवार को अयोध्या में वरिष्ठ पदाधिकारी कोटेश्वर राव को सौंपा।

अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री समेत विभिन्न नदियों का जल भी लाया गया है। यह 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचा। इसके अलावा देश के दूसरी नदियों और सरोवरों का भी जल अयोध्या लाया गया है। भगवान के अभिषेक के लिए कई नदियों की पवित्र मिट्टी भी लाई गई है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी पूरी कवरेज यहां पढ़ें

इस बीच इस भव्य समारोह के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से उपहार भेजे जा रहे हैं जिनमें भगवान राम की तस्वीर वाली चूड़ियों से लेकर 56 किस्म के ‘पेठा’ और 500 किलो का लोहे-कांसे का ‘नगाड़ा’ और अमरावती से आ रहा 500 किलो ‘‘कुमुकम’’ शामिल है। राम मंदिर प्रबंधन समिति को 108 फुट की अगरबत्ती, 2,100 किलो की घंटी, सोने की चप्पल, 10 फुट ऊंचा ताला और चाभी और आठवीं सदी का समय बताने वाली एक घड़ी समेत कई उपहार मिले हैं।

नेपाल में सीता के जन्म स्थान जनकपुर से 3,000 से अधिक उपहार भी आए हैं। श्रीलंका का एक प्रतिनिधिमंडल रामायण में उल्लेखित अशोक वाटिका से एक विशेष उपहार लाया है। इस्कॉन के निहंग सिख और देशभर के मंदिर न्यास से लेकर अयोध्या में स्थानीय लोग यहां श्रद्धालुओं को भोजन कराने के लिए ‘‘लंगर’’ दे रहे हैं।