Muslim Quota in Karnataka: कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इस मुद्दे पर सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे कर्नाटक चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणियों का जिक्र सुप्रीम कोर्ट के सामने किया। जिस पर जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस तरह की बयनबाजी पर नाराजगी जताई। के जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि जब मामला अदालत के समक्ष लंबित है, तब इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए। यह उचित नहीं है।
कर्नाटक सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस तरह की टिप्पणियों की जानकारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कोई कह रहा है कि धर्म आधारित कोटा नहीं होना चाहिए तो इसमें गलत क्या है? दवे ने कहा, ‘अमित शाह ने कहा कि कर्नाटक में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण असंवैधानिक था और बीजेपी सरकार ने इसे हटा दिया।
कोर्ट ने 25 जुलाई तक सुनवाई का टाल दिया
मामले की सुनवाई 25 जलाई तक के लिए टल गई, क्योंकि सॉलिसिटर जनरल ने सेम सेक्स मैरिज मामले में संविधान पीठ की सुनवाई के मद्देनजर स्थगन की मांग की थी। दवे याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए थे। याचिका में कर्नाटक में मुसलमानों के लिए 4 फीसदी आरक्षण को खत्म करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारुढ़ भाजपा सरकार ने 13 अप्रैल को राज्य में 4 प्रतिशत मुस्लिम कोटा खत्म कर दिया है। कर्नाटक में मुस्लिम कोटा खत्म करने का यहा पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में हैं। जिसने सरकार के आदेश पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह अत्यधिक अस्थिर और त्रुटिपूर्ण लगता है।
राज्य सरकार ने कोर्ट को दिया था यह भरोसा
इसके बाद कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया था कि वो अपने 24 मार्च के आदेश को रोक देगी। जिसमें शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और वोक्कालिगा और लिंगायत को सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए कोटा दिया गया था। यह मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण को दो समुदायों के बीच समान रूप से दिया जाना था।