मुंबई के एक विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी संदीप सिंह यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी है। संदीप यादव पर आरोप है कि एक व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करने के बदले 20 लाख रुपये की रिश्वत ली है। संदीप को सीबीआई ने 8 अगस्त को गिरफ्तार किया था। जिसमें विशेष अदालत ने 28 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

अदालत के समझ संदीप ने अपने बचाव पक्ष में तर्क दिया था कि उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में अधिकारी के रूप में 16 साल कार्य किया है। इस दौरान उनसकी छवि बिलकुल साफ सुधरी रही है। उनका रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है। इसके साथ ही संदीप ने यह दावा किया कि उनको व्यक्तिगत प्रतिशोध के वजह से झूठे आरोप में फंसाया जा रहा है।

बीते 8 अगस्त को सीबीआई की टीम ने दिल्ली में संदीप यादव को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के समय सीबीआई ने आरोप लगाया कि संदीप को रिश्वत लेते हुए रंगों हाथ पकड़ा गया था। इस मामले में संदीप के खिलाफ शिकायत वीएस गोल्ड के मालिक द्वारा की गई थी जिसके बाद सीबीआई ने रंगे हाथों संदीप को गिरफ्तार किया। वीएस गोल्ड के मालिक ने यह दावा किया कि उनकी कंपनी के सोने की खरीद से संबंधित जांच को लेकर संदीप ने उनके घर पर दो बार तलाशी ली थी। इसके बाद संदीप ने उनके बेटे को गिरफ्तारी से बचाने के लिए पैसे की मांग की थी।

मामले में संदीप नहीं थे जांच अधिकारी

कोर्ट में संदीप के वकील मिथिलेश मिश्रा ने तर्क दिया कि जिस मामले में संदीप को गिरफ्तार किया गया है। उस जांच में वो जांच अधिकारी नहीं थे। इसलिए उन्हें रिश्वत मांगने का कोई अधिकार नहीं था। वहीं सीबीआई की ओर से केस देख रहे विशेष सरकारी वकील संदीप सिंह ने जवाब दिया कि रिश्वत लेने में संदीप की प्रत्यक्ष भागीदारी उनकी संलिप्तता को दर्शाती है।

संदीप का सिम कार्ड उनके नाम पर नहीं है रजिस्टर्ड

इसके साथ ही सीबीआई ने मामले में कहा कि संदीप यादव के मोबाइल फोन में एक सिम कार्ड ऐसा मिला है जो उनके नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है। जिसकी जांच चल रही है। सीबीआई और वकीलों के दलीलों को सुनकर विशेष अदालत के जज एसपी नाइक-निंबालकर ने सीबीआई की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए संदीप यादव की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।