नब्बे के दशक की शुरुआत में राम मंदिर आंदोलन की लहर को महसूस करने के बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकालने का ऐलान किया तो वो मुलायम सिंह यादव थे जिन्होंने सबसे पहले ऐलान किया था कि वो आडवाणी को अयोध्या में नहीं घुसने देंगे। लेकिन लालू यादव को लगा कि रथयात्रा को रोकने में उनका नफा है। हो भी क्यों ना। बिहार में 17 फीसदी आबादी मुस्लिम समुदाय की जो थी।
लालू ने मौके की नजाकत को भांपा और दिल्ली जाकर तत्कालीन पीएम वीपी सिंह से मिले। इस मीटिंग के बारे में खुद मुलायम सिंह को भी नहीं पता था। लालू और पीएम में गुफ्तगू हुई और उसके बाद तैयार हुई आडवाणी को रोकने की पटकथा। लालू नहीं चाहते थे कि रथयात्रा को रोकने का सेहरा मुलायम सिंह के सिर सजे। हालांकि वीपी सिंह अपनी सरकार को बचाने को लेकर ज्यादा फिक्रमंद थे जो बीजेपी के सपोर्ट से चल रही थी। लेकिन लालू के समझाने के बाद वो माने और आडवाणी को अरेस्ट करने की परमिशन अपने चहेते सीएम को दे डाली। फिर तैयार हुई रथयात्रा रोकने की पटकथा।
धनबाद में होनी थी अरेस्ट पर ऐन वक्त पर बदली गई रणनीति
आडवाणी को रोकने के लिए पहली कोशिश धनबाद में की गई। लेकिन लालू ने ऐन वक्त पर अपना हाथ रोक लिया क्योंकि वहां बीजेपी और आरएसएस का खासा प्रभाव था। लालू इस वजह से भी हिचक रहे थे क्योंकि धनबाद के डीसी अफजाल अमानउल्लाह थे। वो सैय्यद शहाबुद्दीन के दामाद भी थे। लालू को लगा कि आडवाणी धनबाद में पकड़े गए तो दंगे भी हो सकते हैं। लिहाजा रणनीति बदली गई।
दुमका के सर्किट हाउस को खास मेहमान के लिए किया गया था तैयार
आडवाणी गया पहुंचे और फिर पटना। वहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। आडवाणी के रथ ने गंगा को पार कर नार्थ बिहार का रुख कर लिया था। जनता दल का पहला विरोध वहीं पर देखने को मिला। दुमका के जिलाधिकारी को कहा गया कि गेस्ट हाउस तैयार रखें। एक खास मेहमान आने वाला है। 22 अक्टूबर की रात आडवाणी समस्तीपुर पहुंचे। दिवंगत प्रमोद महाजन को कहा गया कि कोई सरकारी अधिकारी आता है तो उनको उठा दें।
जैसे ही आडवाणी अरेस्ट हुए राष्ट्रपति को लिखी समर्थन वापसी की चिट्ठी
कॉपरेटिव रजिस्ट्रार आरके सिंह और आईपीएस रामेश्वर ओरेन को समस्तीपुर सर्किट हाउस की तरफ बढ़ने को कहा गया। यहीं पर आडवाणी का रात्रि प्रवास था। 22-23 की रात को अर्ध सैनिक बलों ने सर्किट हाउस को घेर लिया और कम्युनिकेशन की सारी लाइनें काट दी गईं। जैसे ही आडवाणी को अरेस्ट किया गया उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन को चिट्ठी लिख बताया कि जनता दल की वीपी सिंह नीत सरकार से बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया है। पार्टी सेक्रेट्री कैलाशपति मिश्रा को ये चिट्ठी सौंपी गई। महाजन को उनके साथ जाने के लिए कहा गया।
आडवाणी को अरेस्ट करने वाले आरके सिंह केंद्र में हैं मंत्री
जिन अधिकारियों ने आडवाणी को अरेस्ट करने में अहम भूमिका अदा की उनमें से आरके सिंह मोदी सरकार में मंत्री हैं। रामेश्वर ओरेन झारखंड में कांग्रेस कोटे से मिनिस्टर हैं जबकि अमानतउल्लाह की पत्नी परवीन आम आदमी पार्टी में हैं। 43 साल के लालू ने आडवाणी को अरेस्ट करके भारत की राजनीति ही बदल डाली थी। लालू 1997 तक बिहार के सीएम रहे। फिर चारा घोटाले में जेल जाने की वजह से उन्हें कु्र्सी छोड़नी पड़ी।