Padma Awards: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को मरणोपरांत दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया जाएगा। पिछले साल उनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। मुलायम सिंह यादव को लिस्ट में शामिल करने के सियासी मायने भी हैं। मुलायम ओबीसी (OBC) के बीच देश में सबसे सम्मानित नामों में से एक हैं, जिन्हें बीजेपी (BJP) लुभाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी काफी समय से ओबीसी को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसमें उसको उतनी कामयाबी नहीं मिल सकी है क्योंकि इस समुदाय में अभी भी सपा की पकड़ ज्यादा मजबूत है।
लिस्ट में एक और नाम है, जो काफी चर्चाओं में है, वो हैं कर्नाटक के नेता एसएम कृष्णा (SM Krishna)। वे राज्य में शक्तिशाली वोक्कालिगा समुदाय के नेता हैं। कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि वोक्कालिगा समुदाय को लुभाने के लिए कृष्णा को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है। वहीं, त्रिपुरा के आदिवासी नेता एनसी देबबर्मा को राज्य में मतदान से कुछ दिन पहले पद्म श्री के लिए चुना गया है।पूर्वोत्तर से भाजपा की प्राथमिकता सूची में थुनाओजम चौबा सिंह को भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
एसएम कृष्णा
कृष्णा भले ही वर्तमान में राजनीति में उतने सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री नेता एचडी देवेगौड़ा के बाद सबसे प्रमुख वोक्कालिगा नेता माना जाता है। उन्होंने 5 दशकों का समय कांग्रेस में बिताया है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के दौरान मुख्यमंत्री, विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल जैसे शीर्ष पदों पर कार्य किया। कृष्णा के बीजेपी में शामिल होने को पार्टी द्वारा राज्य पैर जमाने के प्रयास के रूप में देखा गया। हालांकि, इस कदम से भाजपा को कभी कोई गंभीर राजनीतिक लाभ नहीं मिला, लेकिन कृष्णा को इस पुरस्कार के लिए चुना जाना उनके समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है।
मुलायम सिंह यादव
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव आठ बार यूपी विधानसभा के लिए चुने गए और सात बार सांसद के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, संयुक्त मोर्चा सरकार में वह रक्षा विभाग और तीन बार यूपी के सीएम रहे। उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय के बीच समाजवादी पार्टी की पकड़ काफी मजबूत है। हालांकि, बीजेपी का कहना है कि मुलायम सिंह को पद्म पुरस्कार के लिए चुनना सिर्फ उनके प्रति सम्मान है, लेकिन माना जा रहा है कि इसके सियासी मायने हैं।
एनसी देबबर्मा
त्रिपुरा के पूर्व राजस्व मंत्री एनसी देबबर्मा, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के संस्थापक अध्यक्ष थे। यह पार्टी भाजपा के लिए एक मूल्यवान सहयोगी थी क्योंकि उसने 2018 में राज्य में अपनी पहली सरकार बनाई थी। देबबर्मा को पद्मश्री ऐसे समय में मिला है जब आईपीएफटी भाजपा से दूर होती जा रही है। देबबर्मा पांच दशकों से त्रिपुरा की जनजातीय राजनीति से जुड़े हुए थे।
थौनाओजम चौबा सिंह
कांग्रेस के एक पूर्व नेता थौनाओजम चौबा सिंह ने पांच बार नंबोल विधानसभा सीट जीती और 1994 से 1995 तक मणिपुर के उपमुख्यमंत्री रहे। इसके बाद वह आंतरिक मणिपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए और राज्य में कांग्रेस के प्रमुख बने। 1998 और 1999 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए फिर से चुने जाने के बाद सिंह 2004 के आम चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो गए। आम चुनाव जीतने के बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया। वह मणिपुर भाजपा अध्यक्ष भी बने और 2006 तक इस पद पर रहे। अपनी खुद की मणिपुर पीपुल्स पार्टी (एमपीपी) बनाने के बाद वह भाजपा में लौट आए और 2012 में उन्हें फिर से राज्य पार्टी अध्यक्ष नामित किया गया।