प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में देश की पहली अंतरराष्ट्रीय डीपवाटर ट्रांसशिपमेंट परियोजना, विझिनजाम इंटरनेशनल सीपोर्ट का औपचारिक उद्घाटन किया। इस बंदरगाह का पहला चरण, जो करीब 18,000 करोड़ रुपये के मेगा निवेश का हिस्सा है, अब पूरी तरह तैयार हो चुका है।
शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर खुद बताई अपनी इच्छा
इस ऐतिहासिक अवसर पर एक दिलचस्प राजनीतिक दृश्य भी देखने को मिला। सरकार की नीतियों के अक्सर आलोचक रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर, इस बार प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए खुद एयरपोर्ट पर मौजूद थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए लिखा कि दिल्ली एयरपोर्ट की अव्यवस्था और उड़ानों में देरी के बावजूद वह समय पर तिरुवनंतपुरम पहुंचने में सफल रहे, ताकि प्रधानमंत्री का अपने निर्वाचन क्षेत्र में स्वागत कर सकें।
पीएम मोदी गुरुवार देर रात केरल पहुंचे और शुक्रवार सुबह 10:15 बजे हेलिकॉप्टर के ज़रिए विझिनजाम बंदरगाह पहुंचे। उद्घाटन से पहले उन्होंने परियोजना के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर और डेक का दौरा किया और अधिकारियों से प्रगति की जानकारी ली।
विझिनजाम पोर्ट, न केवल भारत बल्कि दक्षिण एशिया के लिए भी सामरिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसका स्थानिक लाभ यह है कि यह दुनिया के सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्गों के बेहद करीब स्थित है, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में विकसित होने में बड़ी मदद मिलेगी।
इस परियोजना का निर्माण डिज़ाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT) मॉडल के तहत किया जा रहा है। अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड प्राइवेट लिमिटेड इस बंदरगाह को विकसित कर रही है और कंपनी ने इसमें करीब 9,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, विझिनजाम बंदरगाह के शुरू होने से भारत की समुद्री क्षमताओं में बड़ा इजाफा होगा और कोलंबो जैसे बंदरगाहों पर निर्भरता घटेगी। साथ ही यह बंदरगाह माल ढुलाई के क्षेत्र में भारत को एक नई वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
थरूर ने विझिनजाम पोर्ट को लेकर अपने भावनात्मक जुड़ाव की भी बात कही। उन्होंने कहा कि वह इस परियोजना की शुरुआत से ही इससे जुड़े हैं और इसका उद्घाटन उनके लिए गर्व का क्षण है। एक तस्वीर में पीएम मोदी से हाथ मिलाते हुए थरूर नजर आए, जबकि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पास ही खड़े थे। इस तस्वीर को थरूर ने खुद पोस्ट किया और लिखा कि यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि तिरुवनंतपुरम के विकास से जुड़ी उम्मीदों का प्रतीक है।
इस पूरे घटनाक्रम में जो बात सबसे ज्यादा चर्चा में रही, वो था थरूर का बदला हुआ रवैया। हाल के महीनों में उन्होंने मोदी सरकार की कई नीतियों की तारीफ की है। चाहे वैक्सीन मैत्री की पहल हो, यूक्रेन युद्ध पर भारत की रणनीति, या फिर अमेरिका से रिश्तों का प्रबंधन, थरूर ने खुले मंचों पर सरकार की सकारात्मक भूमिका को स्वीकार किया है।
‘द वीक’ के लिए लिखे एक लेख में उन्होंने बताया था कि किस तरह भारत की वैक्सीन नीति ने न सिर्फ जरूरतमंद देशों की मदद की, बल्कि भारत की साख भी बढ़ाई। उन्होंने कहा था कि वैश्विक स्वास्थ्य कूटनीति में भारत ने मजबूत स्थान बनाया है। हालांकि थरूर ने ये भी स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख की शुरुआत में उन्होंने आलोचना की थी, लेकिन बाद में उन्हें समझ आया कि भारत का संतुलन साधना रणनीतिक दृष्टि से सही था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस और थरूर के बीच मतभेद गहरे हो रहे हैं।
खुद थरूर ने एक पॉडकास्ट में कहा था कि अगर पार्टी को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है, तो उनके पास विकल्प खुले हैं। हालांकि, उन्होंने पार्टी बदलने की अटकलों को नकारा था। भाजपा ने थरूर के बदले सुरों पर चुटकी लेते हुए कहा कि राहुल गांधी को अब शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है, क्योंकि उनके ही पार्टी सांसद अब मोदी सरकार की तारीफ करने लगे हैं।