उत्तर पूर्वी राज्य मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता लाल थनहवला मंगलवार को एक रैली के दौरान राज्य की आजादी का प्लेकार्ड हाथों में थामें नजर आए। हालांकि बाद में जब इस प्लेकार्ड को लेकर उनसे सफाई मांगी गई तो उन्होंने बताया कि किसी अन्य प्रदर्शनकारी ने उन्हें यह प्लेकार्ड थमा दिया था और वह उस प्लेकार्ड को सिर्फ पकड़कर खड़े हुए थे। वहीं मामले पर विवाद होते देख कांग्रेस पार्टी भी लाल थनहवला के बचाव में आ गई है। कांग्रेस की मिजोरम यूनिट के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि ‘उनके पास कोई बैनर नहीं था, वह सिर्फ प्रदर्शन में शामिल हुए थे। इसी दौरान एक प्रदर्शनकारी ने उन्हें बैनर पकड़ा दिया था।’

बता दें कि मिजोरम के साथ ही उत्तर पूर्व के अधिकतर राज्यों में केन्द्र की मोदी सरकार के सिटीजनशिप (संशोधन) बिल का विरोध हो रहा है। इस बिल के तहत केन्द्र सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदुओं, पारसियों, जैन, ईसाई, सिखों को नागरिकता संबंधी नियमों में कुछ छूट देने पर विचार कर रही है। सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पास करा लिया है। जिसे अब राज्यसभा में पेश किया जाना है। वहीं उत्तर पूर्व के राज्य इस बिल का विरोध कर रहे हैं और जगह जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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मिजोरम में इस बिल को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मिजोरम के इंफाल (पूर्वी) और इंफाल (पश्चिमी) जिलों में तो विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। मिजोरम में हिंसा की छिट-पुट घटनाएं हुई हैं। राज्य में एहतियातन मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। मिजोरम की तरह ही मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश में भी सिटिजनशिप (संशोधन) बिल का विरोध हो रहा है। भाजपा शासित मणिपुर ने भी खुद को इस बिल के अधिकार क्षेत्र से दूर रखने की मांग की है। असम में भी इस बिल के विरोध में असम गण परिषद ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि इससे असम की सरकार पर कोई संकट नहीं आया है।