मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा के बाद अब तक पूरी तरह शांति बहाल नहीं हो सकी है। सैकड़ों लोगों की हत्या हो चुकी है वहीं हजारों बेघर हैं। आम नागरिकों को अपना घर छोड़ कर राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी है।

 राज्य का हेल्थ केयर सिस्टम पूरी तरह राजधानी इम्फाल से जुड़ा है, लेकिन जारी हिंसा के बीच राजधानी कई शहरों से पूरी तरह कट सी गई है। ऐसे में आम लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 

दोनों बड़े अस्पताल इम्फाल में मौजूद 

राज्य के दोनों बड़े सरकारी अस्पताल इंफाल में हैं जहां सभी सुविधाएं हैं । जिनमें राज्य सरकार द्वारा चलाया जाने वाला  जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान केंद्र द्वारा संचालित क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान मौजूद है।  शिजा हॉस्पिटल्स एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट और राज मेडिसिटी जैसे निजी अस्पताल भी राजधानी में हैं। लेकिन इन इलाकों में मैतई समूह का प्रभाव है।

घाटी के बाहर सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल चुराचांदपुर जिला अस्पताल है जो कुकी-ज़ोमी बहुल शहर के केंद्र में स्थित है। अस्पताल के डॉक्टरों और शहर के मरीजों का कहना है कि वे राजधानी में संसाधनों से पहले कभी इतने अलग नहीं हुए थे।

जिला  अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बियाकडिकी ने कहा,“यहां ऐसी चीजें थीं जिनकी हमारे पास कमी थी, लेकिन इंफाल इतना करीब होने के कारण हमें कभी इसका एहसास ही नहीं हुआ।”

बदतर हो रहे हालात 

जब इंडियन एक्सप्रेस ने दौरा किया तो ओपीडी समय के दौरान अस्पताल मरीजों से भरा हुआ था लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि असली संकट विशेषज्ञों की कमी है। ऑन्कोलॉजिस्ट सहित कई सुपरस्पेशलिस्ट जो सप्ताह में कुछ बार अस्पताल आते थे अब नहीं आ पा रहे हैं। 

अब जिन मरीजों को विशेष देखभाल और इलाज की जरूरत है, उन्हें राज्य से बाहर जाना पड़ रहा है, इसके लिए सबसे करीब जगह मिजोरम की राजधानी आइजोल है। यहां पहुंचने के लिए कठिन पहाड़ी रास्तों पर 12 घंटे से अधिक से ज़्यादा सफर तय करना पड़ता है। अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक संघर्ष के दौरान सीने में गोली लगने से घायल हुए छह मरीजों को कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी की सुविधाओं की कमी के कारण हवाई मार्ग से गुवाहाटी ले जाया गया था।

यह हर इंसान के लिए आसान नहीं है कि वह महंगा इलाज करा सके। 54 वर्षीय रोलियानपुई को इस जनवरी में स्तन कैंसर का पता चला था और मार्च में इंफाल के रिम्स अस्पताल में उनकी स्तन की सर्जरी की गई थी।

रोलियानपुई ने  वहां अपना कीमोथेरेपी उपचार शुरू कर दिया था और मई में हिंसा भड़कने से पहले दो सत्र पूरे कर लिए थे। उसके छह सत्र शेष थे लेकिन अब इलाज पूरा नहीं हो पा रहा है। इन इलाकों में और भी कई इस तरह के मामले हैं।