बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी से धुर विरोधी बन चुके सुवेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग को एक शिकायत दर्ज कराई है। अधिकारी ने आरोप लगाया है कि सीएम ममता ने अपने खिलाफ दर्ज मामलों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है। एक फेसबुक पोस्ट में सुवेंदु अधिकारी ने सीएम ममता पर “तथ्यों को छिपाने” का आरोप लगाया है। मालूम हो कि पिछले साल दिसंबर में सुवेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो गए थे। आगामी विधानसभा चुनाव में वे सीएम ममता को नंदीग्राम से चुनौती दे रहे हैं। तृणमूल के पूर्व नेता ने ममता बनर्जी के खिलाफ एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ममता ने अपने खिलाफ छह मामलों का जिक्र नहीं किया है।
अधिकारी ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा, ‘मामलों में, पांच मामले 2018 के असम के हैं और एक सीबीआई की एफआईआर है। सीएम एक FIR को रद्द कराने कलकत्ता हाइकोर्ट पहुंची थी। लेकिन उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। मैंने जांच के दौरान सभी जानकारी प्रस्तुत की है। चुनाव आयोग को इस पर सवाल उठाना होगा।’ मामले में चुनाव आयोग से सुवेंदु अधिकारी ने “न्याय” की गुहार लगाई है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘अगर उन मामलों के लंबित होने पर चुनाव आयोग जांच करेगा। मुझे उम्मीद है कि वे कानून के मुताबिक न्याय करेंगे … अगर मुझे न्याय नहीं मिला, तो मैं इसे आगे तक ले जाऊंगा।’
बता दें कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से अपना नामांकन दाखिल किया है। वे सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ लड़ रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सुवेंदु ने उस समय टीएमसी से ये सीट जीती थी। बता दें कि ये वही नंदीग्राम है जिसने सीएम ममता को 2011 में सत्ता में लाने में मदद की थी। अब नंदीग्राम की सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। सबका ध्यान इस सीट पर बना हुआ है।
मालूम हो कि इससे पहले सीएम बनर्जी के पैर में चोट लगने के बाद टीएमसी और भाजपा के बीच तकरार शुरू हो गई थी। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि जब वह गाड़ी से लोगों का अभिवादन कर रही थीं तो उनका पैर कुचल दिया गया था।
कोलकाता में अस्पताल ले जाने से पहले, सीएम ममता ने आरोप लगाया कि यह एक साजिश थी और इसमें चार-पाँच अज्ञात लोग शामिल थे। उनकी पार्टी ने कहा कि यह उनकी जान लेने की कोशिश थी। हालांकि बीजेपी ने मामले में सीएम ममता पर सहानुभूति के लिए ड्रामा करने का आरोप लगाया।
मामले के तूल पकड़ने के बाद चुनाव आयोग ने जांच के आदेश दिए थे। आयोग ने बाद में कहा कि मुख्यमंत्री पर हमले से जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला।
आयोग ने कहा कि ऐसा सुरक्षा प्रोटोकॉल में कमी के चलते हुआ था। यह एक दुर्घटना थी। आयोग ने सीएम की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को निलंबित भी कर दिया था।