भारतीय राजनीति में इस वक्त कई मोर्चों पर बवाल मचा हुआ है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के सांसदों को कड़ी फटकार लगाई, भाजपा में आपसी संघर्ष सतह पर आ गया, यूपी और महाराष्ट्र में मंत्रियों ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा। इस बीच राहुल गांधी का राष्ट्रगान वाला क्षण चर्चा में रहा।
ममता बनर्जी का दर्द
लोकसभा में विपक्ष की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक और गुटबाजी बढ़ी है। जिससे कुपित होकर 29 लोकसभा सदस्यों वाली और पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी ने इसी चार अगस्त को अपने सांसदों को खूब खरी खोटी सुनाई। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे। भाजपा इस चुनाव में ममता दीदी को सिंहासन से उतारना चाहती है। ममता बनर्जी को भी इसका बखूबी अंदाज है। तभी तो उन्होंने दिल्ली में अपनी पार्टी के प्रदर्शन की चिंता की।
बैठक में उन्होंने सांसदों को बताया कि सुदीप बंदोपाध्याय और सौगत राय अस्वस्थ हैं। सुदीप ही लोकसभा में पार्टी के नेता हैं। ममता ने उनके स्वस्थ होने तक अपने भतीजे और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया है। साथ ही उपनेता काकोली घोष दस्तीदार को भी समझाया कि अभिषेक की अनुपस्थिति में वे संसदीय दल का तालमेल संभालें। ममता ने लोकसभा के सांसदों में सही समन्वय नहीं होने का अपना दर्द बयान किया तो पार्टी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने मुख्य सचेतक पद से इस्तीफे का एलान कर दिया। अपनी पीड़ा भी उजागर कर दी कि गैर हाजिर रहने वाले और अनुशासन को न मानने वाले सदस्यों पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें दोष दिया गया है। कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा की अनबन किसी से छिपी नहीं है।
भाजपा बनाम भाजपा
दिल्ली में इन दिनों कांस्टीटयूशन क्लब के चुनाव की सरगर्मी है। मुकाबला भाजपा के ही दो नेताओं के बीच है। सांसद राजीव प्रताप रूडी लंबे समय से इसके पदाधिकारी हैं। इस बार भी वे निर्विरोध चुने जाते अगर पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने उनके मुकाबले ताल न ठोकी होती। इसे वाजपेयी की भाजपा और मोदी की भाजपा के बीच मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है। बालियान को अमित शाह का समर्थन बताया गया है। जबकि रूडी को विपक्षी सांसदों का समर्थन ज्यादा है। यह लड़ाई जाट बनाम ठाकुर में भी तब्दील हो चुकी है।
बालियान जाट हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपनी हार का दोष ठाकुर नेता संगीत सोम पर मढ़ा था। इससे पहले कुश्ती संघ की लड़ाई में भी यही जातीय झगड़ा दिखा था। आंदोलनकारी पहलवान जाट थे जबकि बृजभूषण शरण सिंह ठाकुर। देखना है कि मोदी की भाजपा जीतेगी या वाजपेयी की भाजपा।
राहुल की प्रस्तुति में राष्ट्रगान
संसद के मानसूत्र सत्र के दौरान दोनों सदनों में बिहार मतदाता सूची की कथित गड़बड़ियों का मुद्दा गर्म है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने देश के कुछ उन राज्यों की मतदाता सूची का विस्तृत विश्लेषण किया, जहां चुनाव हुए थे। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी खुद इस विश्लेषण को उजागर करने के लिए सामने आए। महाराष्ट्र व कर्नाटक विधानसभा में ‘वोट चोरी’ के आरोप को लेकर अपनी प्रस्तुति खत्म होने के बाद राहुल गांधी पत्रकारों को इस विश्लेषण की आखिरी बात समझाने की कोशिश में लगे थे।
उसी बीच गलती से सम्मेलन कक्ष में राष्ट्रगान की धुन बज गई। धुन के बजते ही नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषण को तुरंत बंद कर दिया और राष्ट्रगान के सम्मान में सभी के साथ खड़े हो गए।
अपनों के आरोप
उत्तर प्रदेश में पहले तो विपक्ष के नेता ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाते थे। फिर भाजपा के सहयोगी दलों की शिकायतें सामने आने लगी। पर अब तो भाजपाई भी अपनी सरकार के शासन से दुखी हैं। विधायक और पार्टी पदाधिकारी ही नहीं मंत्री तक नौकरशाही पर मनमानी और भ्रष्टाचार करने व जनप्रतिनिधियों को कोई अहमियत न देने का रोना रोने लगे हैं। औद्योगिक विकास विभाग के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी में नौकरशाही के भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी। स्टांप व पंजीकरण विभाग के मंत्री रवींद्र जायसवाल ने अपने विभाग के प्रमुख सचिव पर घूस लेकर तबादले करने का आरोप लगाया तो मुख्यमंत्री को तबादला सूची रद्द करनी पड़ी। कानपुर की मंत्री प्रतिभा शुक्ल तो पुलिस के थानेदार की मनमानी के खिलाफ थाने के बाहर धरने पर बैठ गई।
इसी तरह सीतापुर के मंत्री सुरेश राही को तो बिजली विभाग के एक अदने से जेई ने खराब ट्रांसफार्मर को उतार कर लाने का फरमान सुना दिया। मंत्री ने उसका पालन भी कर दिया। हालांकि बाद में गुस्से में वे धरने पर भी बैठे। बिजली मंत्री अरविंद शर्मा ने कहा ही था कि वे एक जेई तक का तबादला नहीं कर सकते। अब बलिया के विधायक और सूबे के परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह ने पीडब्लूडी के इंजीनियरों पर उन्हें अंधेरे में रख कर बसपा के विधायक के कहने पर नए बने पुल को आवाजाही के लिए खोल देने का आरोप जड़ दिया।
बेचैन शिंदे
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में सब सामान्य और सहज नहीं है। शिवसेना के नेता और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से ज्यादा पट नहीं रही है। शिंदे को लग रहा है कि फडणवीस की नजदीकी उनके विरोधी उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे से बढ़ रही है। वे सरकार के कामकाज में भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अगर चिंतित न होते तो जल्दी-जल्दी दिल्ली दरबार के दौरे न करते। अमित शाह से तो मिल ही रहे थे, इस बार सपरिवार प्रधानमंत्री से भी मिले।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने दल के बिना शर्त समर्थन का एलान कर गए। मुख्यमंत्री के साथ उनकी खींचतान के संकेत मुंबई की बिजली कंपनी ‘बेस्ट’ के जीएम की नियुक्ति के मामले में भी दिखी। पहले खबर आई कि शहरी विकास मंत्री के नाते शिंदे ने आशीष शर्मा को जीएम नियुक्त कर दिया। फिर पता चला कि मुख्यमंत्री के सामान्य प्रशासन विभाग ने अश्विनी जोशी की नियुक्ति की है। अब सफाई दी जा रही है कि फडणवीस ने कोई आदेश जारी नहीं किया था बल्कि शर्मा को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, नियुक्ति तो मुख्यमंत्री का सामान्य प्रशासन विभाग ही करेगा।
संकलन : मृणाल वल्लरी