Lok Sabha Elections: ओलंपिक पदक विजेता और बॉक्सर विजेंदर सिंह हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए हैं। लेकिन शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स पर उन्होंने एक पोस्ट लिखी। बॉक्सर विजेंदर सिंह ने लिखा, ‘मैं बागी रहूंगा उन महफिलों से, जहां शोहरत तलवे चाटने से मिलती है।’
ओलंपिक पदक विजेता का यह पोस्ट बुधवार को सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के ठीक दो दिन बाद आया है। वह इस सप्ताह सबसे पुरानी पार्टी छोड़ने वाले तीसरे हाई-प्रोफाइल कांग्रेस नेता हैं। बुधवार मीडिया को संबोधित करते विजेंदर सिंह ने कहा था कि भाजपा में शामिल होना घर वापसी जैसा है। बता दें, विजेंदर सिंह 2019 का लोकसभा चुनाव दक्षिणी दिल्ली से लड़ा था, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था।
विजेंदर सिंह ने कहा था, ‘मैं आज प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में भाजपा में शामिल हो रहा हूं। एक तरह से यह मेरी ‘घर वापसी’ है।’ उन्होंने कहा था कि अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘गुड टू बी बैक’। मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि केंद्र में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से देश-विदेश में भारतीय खिलाड़ियों का सम्मान बढ़ा है।
ओलंपिक पदक विजेता ने कहा, ‘मैं वही पुराना विजेंदर हूं। जो भी मुझे गलत लगेगा, मैं उसे गलत कहूंगा। अगर मुझे लगता है कि यह सही है तो मैं इसे सही कहूंगा।’ सिंह ने कहा कि जो भाजपा के मुखर आलोचक थे और किसानों के विरोध और पहलवानों के आंदोलन के समर्थन में सामने आए थे, वो अक्सर सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करते थे।
जनता, विशेष रूप से एथलीटों की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, सिंह ने कहा था कि मैं हमेशा किसी के भी साथ हूं, जिसे कोई समस्या या दुख है। मैं बातचीत के माध्यम से मुद्दों का समाधान करूंगा।
लोकसभा चुनाव से पहले कई नेताओं ने पार्टियां बदल ली हैं, हालांकि सिंह का भाजपा में प्रवेश उन बदलावों में से एक है जिसने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया होगा।
सिंह का नाम पिछले कुछ दिनों से मथुरा से संभावित कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चल रहा था। जहां से भाजपा ने अभिनेत्री और मौजूदा सांसद हेमा मालिनी को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है।
पूर्व मुक्केबाज जाट समुदाय से आते हैं, जिनका हरियाणा (उनके गृह राज्य), पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़ी संख्या में सीटों पर राजनीतिक प्रभाव है।
38 साल के मुक्केबाज ने 2008 और 2009 में भारत को पहला ओलंपिक और पुरुष विश्व चैंपियनशिप पदक दिलाया था और 2015 में पेशेवर मुक्केबाजी में शामिल हुए।