Congress Maharashtra Game Plan: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। सबसे पुरानी पार्टी वो गलती नहीं करना चाहती है, जो उससे हरियाणा विधानसभा चुनाव में हुई। जिसके चलते उसे हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में इंडिया बलॉक के सहयोगियों ने कहा था कि कांग्रेस के अति आत्मविश्वास के कारण उसे यह जोखिम उठाना पड़ा। यही वजह है कि 20 नवंबर को होने को वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सावधानी से कदम उठाती दिख रही है।
कांग्रेस शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) से ज़्यादा सीटें मांगते हुए संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है। साथ ही यह सुनिश्चित कर रही है कि उनका महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन बरकरार रहे। साथ ही वह टिकट आवंटन में होने वाली परेशानियों को रोकने के लिए रणनीति बना रही है, जिसने हरियाणा चुनावों में उसकी किस्मत को बंद कर दिया था।
कांग्रेस ने संकेत दिया है कि वह हरियाणा में की गई गलतियों को दोहराना नहीं चाहती। ऐसा ही एक संकेत तब मिला जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने हाल ही में महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में 11 वरिष्ठ पर्यवेक्षकों और राज्य के लिए दो वरिष्ठ समन्वयकों की नियुक्ति की।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ऐसे राज्य में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती, जहां उसका दलित-मुस्लिम वोट आधार मजबूत है और जहां उसने लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है। कांग्रेस को महाराष्ट्र में 13 सीटें मिलीं थी, जो राज्य में सभी दावेदारों में सबसे अधिक है। जबकि भाजपा और शिवसेना (यूबीटी) ने नौ-नौ सीटें जीतीं।
महाराष्ट्र में काम करने की जिम्मेदारी संभाल रहे एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में हमारी समस्याएं हरियाणा से अलग हो सकती हैं, क्योंकि हमारे पास (भूपिंदर) हुड्डा जी जैसा कोई बड़ा नेता नहीं है, जो वहां चुनाव प्रचार संभाल रहे थे। लेकिन सहयोगी दलों को खुश रखना और सीट बंटवारे पर दृढ़ रहना महत्वपूर्ण है। उनका यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) उन सहयोगियों में से एक थी, जिसने कहा था कि कांग्रेस को और अधिक “समायोज्य” होना चाहिए।
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एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का कार्यालय महाराष्ट्र चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों पर कड़ी नजर रख रहा है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बैठकों के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि हम हरियाणा की तरह चीजों को नहीं होने दे सकते। महाराष्ट्र में एआईसीसी राज्य नेतृत्व और विशेष रूप से इच्छुक उम्मीदवारों के प्रबंधन में अधिक शामिल होना चाहती है।
एक अन्य नेता ने कहा कि जिन्होंने महाराष्ट्र में पहले ही प्रचार कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी टिकट आवंटन के लिए वस्तुनिष्ठ पद्धति का पालन करेगी। नेता ने कहा कि हम टिकट का निर्धारण शीर्ष नेताओं से संबद्धता के आधार पर नहीं होने देंगे, जैसा कि हरियाणा में हुआ। एकमात्र मानदंड उम्मीदवार की जीत की संभावना होगी और जिन लोगों को राज्य में टिकट नहीं मिल पाएगा, उन्हें AICC के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रबंधित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी कि जिन लोगों को टिकट नहीं दिया गया है, वे बागी न बनें और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव न लड़ें।
हरियाणा में बागी उम्मीदवार जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े, उन्होंने कांग्रेस की संभावनाओं पर गलत प्रभाव डाला। कई सीटों पर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों की हार के लिए भी उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया गया, क्योंकि उन्होंने उनके वोट काटे।
बुधवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार जो क्रमशः शिवसेना, भाजपा और एनसीपी के नेता हैं। उन्होंने संयुक्त रूप से अपनी महायुति गठबंधन सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। लोकसभा चुनावों के बाद जब महायुति की सीटों की संख्या एमवीए की 30 सीटों के मुकाबले 17 हो गई, तो शिंदे सरकार ने महायुति के वोट बैंक को मजबूत करने के लिए महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता योजना की घोषणा की।
इसके जवाब में कांग्रेस भी राज्य में अपनी पांच गारंटी और घोषणापत्र को जल्द से जल्द जारी करने की सोच रही है। पार्टी के शीर्ष नेताओं में यह भावना है कि हरियाणा में घोषणापत्र को जितनी देर से जारी किया जाना चाहिए था, उससे कम समय में जारी किया गया, जिससे पार्टी को लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का कम समय मिला।
एआईसीसी के एक नेता ने कहा कि पार्टी महाराष्ट्र के लोगों के लिए पांच गारंटी पर विचार कर रही है – जिसमें हम मतदाताओं से कुछ वादे करेंगे जैसे कि घरों को लेकर नकद भुगतान, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, मुफ्त 10 किलो अनाज, सस्ती बिजली और बेरोजगारी भत्ता। हम अपने घोषणापत्र में जाति जनगणना का वादा भी करेंगे।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि गांधी गारंटी को व्यावहारिक नहीं बनाना चाहते हैं। गांधी के करीबी माने जाने वाले नेता ने कहा कि गारंटियों को लेकर सहयोगी दलों की ओर से भी कुछ दबाव है, लेकिन राहुल जी चाहते हैं कि गारंटी पूरी तरह व्यावहारिक हो ताकि पार्टी को लंबे समय में अपनी छवि न खोनी पड़े। मुझे लगता है कि गारंटी को लेकर बीच का रास्ता निकाला जाएगा।
कांग्रेस की गारंटियों ने पहली बार पार्टी को 2022 में हिमाचल प्रदेश चुनावों में सफलता का स्वाद चखने में मदद की थी। फिर इसी तरह का खाका तेलंगाना (2023) और कर्नाटक (2023) में दोहराया गया। इन दोनों राज्यों में पार्टी ने जीत हासिल की।
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जातिगत गणना के मुद्दे पर कांग्रेस महाराष्ट्र में अपनी हरियाणा गलती को दोहराना नहीं चाहती है, जैसे एक समुदाय (जाट) पर बहुत अधिक निर्भरता। जिसके परिणामस्वरूप समुदाय के खिलाफ ध्रुवीकरण हुआ और अन्य ओबीसी और दलित समुदायों का भाजपा के पक्ष में लामबंद हुए।
महाराष्ट्र कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हम अपना अभियान संविधान और जाति जनगणना पर केंद्रित करेंगे। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में इसने हमारे लिए काम किया और यह एक बार फिर हमारी जीत सुनिश्चित करेगा।
महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी सचिव कुणाल चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राज्य में चुनाव भाजपा द्वारा अपनाई जा रही मनुस्मृति की विचारधारा के खिलाफ ज्योतिराव फुले, डॉ अंबेडकर और शाहूजी महाराज की विचारधारा पर लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हम ये चुनाव दलितों, पिछड़े वर्गों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए लड़ रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता सुभ्रांश कुमार राय ने कहा कि महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस जिस सबसे बड़े मुद्दे पर भरोसा करेगी, वह भ्रष्टाचार और शिंदे सरकार द्वारा चुराया हुआ जनादेश होगा। जिसने जून 2022 के विद्रोह का जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना को विभाजित कर दिया।
(असद रहमान की रिपोर्ट)