Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले अलायंस को भारी जीत मिली है। इसके बाद सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी एमवीए के दोनों खेमों ने चुनावों में आरएसएस की भूमिका को सराहा है। मुंबई में एनसीपी (SP) की एक मीटिंग में पार्टी के मुखिया शरद पवार ने अपने कार्यकर्ताओं का ध्यान बीजेपी के अभियान में आरएसएस की भूमिका पर दिलवाया।
पवार ने अपनी पार्टी के कार्यकताओं से कहा कि विधानसभा चुनावों ने दिखा दिया है कि आरएसएस कार्यकर्ताओं की अपनी विचारधारा के लिए कितनी निष्ठा है। हमें भी एक मजबूत कार्यकर्ता बनाने के लिए काम करना चाहिए जो छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और डॉ बीआर अंबेडकर की विचारधाराओं को मानता हो। एनसीपी (SP) नेता जितेंद्र आव्हाड ने पवार की टिप्पणी को मानते हुए कहा कि आरएसएस का संदर्भ कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता और वफादारी के संदर्भ में था। जब कुछ अच्छा होता है, तो उस पर चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए? लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एनसीपी (SP) या उसके नेता उनकी विचारधारा का समर्थन करते हैं।
बीजेपी ने संघ से मांगी मदद
अप्रैल-जून 2024 के लोकसभा इलेक्शन के बाद में महायुति की करारी हार के बाद उस चुनाव अभियान में आरएसएस की भूमिका चर्चा का विषय बन गए। कुछ ही महीनों के बाद विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान के लिए संघ की मदद मांगी। उस वक्त देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी और महायुति के अभियान की रणनीतियों पर काम करने के लिए संघ के नेताओं के साथ कम से कम आधा दर्जन मीटिंग की। इन मीटिंग का नतीजा यह रहा कि गठबंधन में चुनाव में 235 सीटों पर बाजी मारी।
अजित पवार के मंत्री की जाएगी कुर्सी?
भारतीय जनता पार्टी ने 149 सीटों पर चुनाव लड़कर 132 सीटें जीतीं और गठबंधन के साथियों एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका
राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ ने आधिकारिक तौर पर अभी तक महाराष्ट्र चुनाव में अपनी भूमिका पर चुप्पी साध रखी है। इसने न तो इसका श्रेय लिया है और न ही खुलकर इस बारे में बात की है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी को चुनाव जिताने में उसकी अहम भूमिका रही है। महाराष्ट्र बीजेपी चीफ चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, ‘महाराष्ट्र चुनाव में आरएसएस और उसके सभी प्रमुख संगठनों की भूमिका बहुत बड़ी थी। उनके घर-घर जाकर किए गए अभियान ने हमें हार को जीत में बदलने में मदद की।’
आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि हम अब 100 साल पुराने संगठन हैं। हमारे संगठन के दो बेहतरीन पहलू हैं इसकी प्रतिबद्धता और समर्पण। किसी भी व्यक्ति को जो भी काम सौंपा जाता है, वह बिना किसी सवाल या रुकावट के पूरा किया जाता है। आरएसएस के नेता अपने संगठन और बीजेपी के बीच अंतर बताते हैं और कहते हैं कि बीजेपी एक राजनीतिक पार्टी है। हालांकि इसके हिंदुत्व एजेंडे का जिक्र करते हुए आरएसएस के कुछ नेताओं ने माना कि बीजेपी के साथ सहजता स्वाभाविक है क्योंकि वह भी हमारी एक विचारधारा का समर्थन करती है। अपने अच्छे संबंधों के बाद भी संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच में कई मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं।
शरद पवार ने भी जताई संघ जैसे एक कैडर की इच्छा
शरद पवार ने अपनी पार्टी के लिए आरएसएस के जैसे ही एक कैडर की जरूरत पर टिप्पणी की है, जो शाहू-फुले-अंबेडकर की विचारधाराओं को मानता हो और इस बात पर जोर दिया है कि लोगों को एकजुट करने के लिए एक गैर-हिंदुत्व या धर्मनिरपेक्ष सामाजिक मंच के लिए जगह है। वहीं कांग्रेस के पास सेवा दल है, जो 1923 में नागपुर में बड़े स्वतंत्रता संग्राम के लिए बनाया गया एक संगठन था। हालांकि, वह धीरे-धीरे कमजोर होता चला गया।
महाराष्ट्र में कोई भी पार्टी अपनी राजनीति को पूरा करने के लिए आरएसएस के स्तर के संगठन की ओर नहीं जा सकती। जब बाल ठाकरे ने 1966 में शिव सेना की स्थापना की थी, तो उन्होंने कहा था कि यह 80 फीसदी सामाजिक कार्य और 20 फीसदी राजनीति होगी। लेकिन अब उनके बेटे उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना दोनों ही राजनीतिक दल हैं। दिल्ली में INDIA और महाराष्ट्र में बिखरा MVA? पढ़ें पूरी खबर…