NCP में रविवार को हुए दो फाड़ के बाद शरद पवार, अजित पवार गुट बुधवार को दक्षिण मुंबई, बांद्रा में अलग-अलग बैठक करेंगे। शरद पवार गुट की बैठक दक्षिण मुंबई के यशवंतराव चव्हाण केंद्र में होगी, वहीं अजित पवार गुट बांद्रा में भुजबल नॉलेज सिटी में बैठक करेंगे।
दोनों गुट के पदाधिकारियों ने बताया कि एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने अपने खेमे में शामिल नेताओं की बुधवार दोपहर एक बजे बैठक बुलाई है, जबकि अजित पवार गुट की बैठक सुबह 11 बजे होगी। अजित पवार, छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल और हसन मुश्रीफ सहित नौ विधायकों की बगावत से रविवार को पार्टी में हुई टूट के बाद यह दोनों गुटों के सभी पदाधिकारियों की पहली बैठक होगी। दोनों गुटों ने दावा किया है कि उन्हें ज्यादातर विधायकों का समर्थन हासिल है।
सुनील तटकरे बने NCP के नए महाराष्ट्र अध्यक्ष
अपनी-अपनी ताकत दिखाते हुए NCP के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने मंत्री पद की शपथ लेने वाले 9 विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया। शरद पवार की कार्रवाई के बाद अजित पवार खेमे की तरफ से भी कार्रवाई हुई। प्रफुल्ल पटेल ने जयंत पाटिल को एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष पद से हटा दिया। उनकी जगह सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
इस तरह के राजनीतिक झगड़े और पार्टी से बगावत करने वाले विधायकों के लिए दल बदल कानून बनाया गया है। ये कानून उन सांसदों/विधायकों के खिलाफ एक्शन लेता है जो दल बदलते हैं और किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं। इसके लिए पार्टी को विधानसभा स्पीकर के पास ऐसा करने वाले सांसद/विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर करनी होती है। स्पीकर इस पर फैसला लेते हैं और दलबदलने वाले नेताओं पर कार्रवाई करते हैं। कानून के तहत उन सदस्यों की सदस्यता भी जा सकती है।
फैसला करने का अधिकार सिर्फ स्पीकर का
इसका फैसला करने का अधिकार सिर्फ स्पीकर को ही होता है। सुप्रीम कोर्ट की 1992 की संविधान पीठ के एक फैसले के मुताबिक, अध्यक्ष/सभापति के फैसला लेने से पहले कोर्ट इस पर फैसला नहीं सुना सकती है। साथ ही इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।
कई मामलों में देखा गया है कि अयोग्यता याचिका पर सुनवाई करने में स्पीकर देरी करते हैं। इसी को लेकर मणिपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि अध्यक्ष अयोग्यता याचिका पर निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने यह कहते हुए हस्तक्षेप न करने का फैसला लिया था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की पीठ के सामने पेंडिंग है।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी असहमति
2016 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने इस सवाल को एक बड़ी पीठ के पास भेजा था कि क्या हाईकोर्ट लोकसभा और विधानसभा स्पीकर को एक निश्चित समय सीमा के भीतर अयोग्यता याचिका पर फैसला करने का निर्देश दे सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2020 के फैसले में हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से असहमति जताई कि स्पीकर को निर्देश जारी करने की अदालत की शक्ति का सवाल बड़ी पीठ के समक्ष पेंडिंग है।
शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्त की थी चिंता
इस साल मार्च में महाराष्ट्र शिवसेना में हुए राजनीतिक संकट मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अयोग्यता के फैसले लंबे समय तक पेंडिंग रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए टिप्पणियां की थीं। सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस बात पर विचार किया था कि क्या कोई समय सीमा होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए स्पीकर को ही उचित अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि कोर्ट आम तौर पर दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के लिए याचिकाओं पर पहली बार में फैसला नहीं कर सकती है।