शुभांगी खापरे
महाराष्ट्र में इस महीने की 20 तारीख को होने जा रहे राज्य विधानसभा के चुनावों के मद्देनजर बीजेपी ने अपनी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसमें हिंदुत्व के मुद्दों को प्रमुखता दी जा रही है। चुनावी प्रचार के दौरान पार्टी ने “काटेंगे तो बताएंगे” और “एक हैं तो सुरक्षित हैं” जैसे नारे शामिल किए हैं, जो मतदाताओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। बीजेपी अपने घोषणापत्र में धर्मांतरण विरोधी कानून का वादा करते हुए हिंदुत्व पर अपना रुख और मजबूत कर रही है। इसी बीच पार्टी किसानों को यह संदेश दे रही है कि कांग्रेस के शासन में उनकी जमीन वक्फ बोर्ड द्वारा ली जा सकती है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने हैदराबाद के रजाकारों का नया मुद्दा उठा दिया
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग करते हुए विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसने बीजेपी को अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठाने का अवसर दिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस को स्वतंत्रता-पूर्व हैदराबाद के रजाकारों से जोड़ते हुए एक नई बहस छेड़ दी है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी एक वीडियो में एआईएमआईएम पर निशाना साधते हुए औरंगजेब और पाकिस्तान का जिक्र किया, जो आम तौर पर उनकी बयानबाजी से अलग है।
मराठा-मुस्लिम एकजुटता, कृषि संकट और जातिगत जनगणना पर भी नजर
पिछले कुछ महीनों से राज्य में सकल हिंदू समाज संगठन ने बीजेपी नेताओं के समर्थन से “लव जिहाद विरोधी” रैलियों का आयोजन किया है। जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, भाजपा ने “वोट जिहाद” का मुद्दा भी उठाया है। मुंबई की वर्सोवा सीट पर फडणवीस ने “लव जिहाद और भूमि जिहाद का मुकाबला धर्म युद्ध से किया जाना चाहिए” का बयान देकर हिंदू वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की मराठा-मुस्लिम एकजुटता, कृषि संकट और जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों पर बीजेपी का ध्यान भी है।
पार्टी की इस रणनीति का एक प्रमुख कारण यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और उसे केवल 9 सीटें ही मिल पाईं। बीजेपी का मानना है कि हिंदुत्व के मुद्दों पर सख्ती से प्रचार करने से वह अगले विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
बीजेपी के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने किसानों और जातिगत मुद्दों पर काम किया, लेकिन इससे उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। पार्टी को उम्मीद थी कि कृषि क्षेत्र में कल्याणकारी योजनाओं से किसानों में असंतोष कम होगा, लेकिन महंगाई और फसल के कम दामों ने किसानों में गुस्सा बढ़ा दिया।
मराठा आरक्षण का मुद्दा भी बीजेपी के लिए चुनौती बन गया है। मनोज जरांगे-पाटिल का मराठा आरक्षण का समर्थन न करना एमवीए को फायदा पहुंचा सकता है, जिससे मराठा वोट बीजेपी से छिटक सकता है। इसके साथ ही नागपुर और आसपास के क्षेत्रों में बीजेपी की हिंदुत्व पर जोर देने की रणनीति कारगर साबित हो रही है। कुछ ग्रामीणों ने कहा कि वे कृषि संकट से नाखुश हैं, लेकिन हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर बीजेपी को समर्थन देना भी जरूरी मानते हैं।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “काटेंगे तो बताएंगे” नारे के साथ बीजेपी ने हिंदू वोटों को अपने पक्ष में करने की पूरी तैयारी कर ली है। इस बार बीजेपी की रणनीति उन क्षेत्रों में भी हिंदू मतों को मजबूत करने की है जहां मुस्लिम आबादी अधिक है। अनुमान के अनुसार महाराष्ट्र के 15 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक हो सकते हैं।
नतीजतन, धुले जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए “एक हैं तो सुरक्षित हैं” का नारा दिया है। बीजेपी का मानना है कि हिंदुत्व की अपील के साथ वह मुस्लिम बहुल सीटों पर भी अपनी जीत सुनिश्चित कर सकती है।