Maharashtra Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद महा विकास अघाड़ी को बड़ा झटका तो लगा ही है। साथ ही एनसीपी (सपा) के अध्यक्ष शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत अब राज्यसभा नहीं जा पाएंगे।
शरद पवार और प्रियंका चतुर्वेदी 3 अप्रैल, 2020 को छह साल के कार्यकाल के लिए चुने गए थे, जबकि राउत जुलाई 2022 में चुने गए थे। पवार और चतुर्वेदी दोनों का कार्यकाल 3 अप्रैल, 2026 को समाप्त हो रहा है, जबकि राउत का कार्यकाल 22 जुलाई, 2028 को समाप्त होगा।
एनसीपी (सपा) और शिवसेना (यूबीटी) दोनों की पर्याप्त ताकत के अभाव में उनके संबंधित दलों के लिए उन्हें फिर से उच्च सदन में भेजना संभव नहीं होगा। पवार ने पहले घोषणा की थी कि यह आरएस के सदस्य के रूप में उनका आखिरी कार्यकाल होगा।
इसकी बड़ी वजह हालिया महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे हैं। एक दिन पहले आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे में उद्धव और शरद पवार की पार्टी को बड़ा झटका लगा है। उनके विधायकों की संख्या पहले से बहुत कम हो गई है। जिसकी वजह से इन नेताओं के राज्यसभा के लिए फिर से चुने जाने की संभावना बेहद कम हो गई है। इस विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी को 50 के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई।
महा विकास अघाड़ी सिर्फ 49 सीटें सकी। MVA की इस विफलता के कारण शरद पवार. संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी को अपने दम पर अगला राज्यसभा कार्यकाल भी नहीं मिलेगा। आमतौर पर महाराष्ट्र से राज्यसभा जाने के लिए 43 सीटों का कोटा तय है। इस लिहाज से पूरी महा विकास अघाड़ीमिलकर केवल एक को ही राज्यसभा भेज सकती है, वह भी तब जब गठबंधन में किसी एक के नाम पर आम सहमति बन सके।
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महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। दूसरे नंबर पर महायुति के साथी पार्टी शिवसेना (एकनाथ शिंदे) है। शिवसेना ने 57 सीटें जीती हैं। एनसीपी (अजित पवार) 41 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर है। शिवसेना (यूबीटी) 20, कांग्रेस 16 और राकांपा (शरद पवार) 10 सीटें ही जीत पाई। दो सीटें सपा ने जीती।
राजनीतिक समीकरणों और इन दलों की विधानसभा में स्थिति को देखते हुए दोनों पार्टियों के लिए इन नेताओं को फिर से राज्यसभा भेजना बेहद कठिन हो गया है। शरद पवार ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि यह उनका राज्यसभा में अंतिम कार्यकाल होगा। वहीं प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत के फिर से चुने जाने की संभावना बेहद कम है।