Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में वोटिंग प्रतिशत में लगभग पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह आंकड़ा विधानसभा चुनावों में 66.05% तक पहुंच गया, जो कि 1995 के बाद से सबसे अधिक है। आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि राज्य की 288 सीटों में से 268 सीटों पर 2019 की तुलना में वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि 20 विधानसभा सीटों पर गिरावट देखी गई। बुधवार को हुए चुनाव में 11 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई, जबकि 102 सीटों पर यह पांच प्रतिशत से अधिक थी। ठाणे की 11 में से 8 सीटों पर 6 फीसदी वृद्धि देखी गई। ठाणे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गृह क्षेत्र है और इसे एक ऐसे क्षेत्र के रूप में देखा जाता है जहां उनका काफी प्रभाव है।
11 सीटों पर 10 फीसदी बढ़ी वोटिंग
ठाणे के जिन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई, वे हैं बेलापुर, कोपरी-पचपखाड़ी, कल्याण ग्रामीण, कल्याण पूर्व, कल्याण पश्चिम और डोंबिवली। जबकि पड़ोसी पालघर जिले में दो एसटी-आरक्षित सीटों पालघर और दहानू में मतदान में 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई। जिन 45 सीटों पर मतदान प्रतिशत में गिरावट देखी गई, उनमें से 17 सीटें मराठवाड़ा क्षेत्र में आती हैं। एक भाजपा नेता ने कहा, “मराठा कोटा एक्टिविस्ट मनोज जारांगे पाटिल की ओर से फ्लिप फ्लॉप (जिन्होंने भाजपा और देवेंद्र फडणवीस को अलग करने की कोशिश की है) शायद मतदाताओं के साथ अच्छा नहीं हुआ। इन हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच उत्साह की कमी ऐसा ही एक संकेत है।”
ग्रामीण इलाकों में 15 फीसदी अधिक वोटिंग
हालांकि अधिकांश सीटों पर बढ़े हुए मतदान ने विशेषज्ञों को असमंजस में डाल दिया है। मुंबई विश्वविद्यालय के नागरिक शास्त्र और राजनीति विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र जोंधले ने कहा कि वैसे तो यह घटना सत्ता विरोधी लहर का संकेत देती है लेकिन इस बार परिदृश्य अलग था। ऐसा कहा जाता है कि अधिक मतदान यह दर्शाता है कि वोट सरकार के खिलाफ है, लेकिन इस बार, यह देखना महत्वपूर्ण है कि कौन से वर्ग बड़ी संख्या में सामने आए हैं- अल्पसंख्यक, दलित, महिलाएं या कोई विशेष जाति समूह। आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं ने शहरी मतदाताओं को पीछे छोड़ दिया है। ग्रामीण महाराष्ट्र में 70% मतदान दर्ज किया गया है जबकि शहरी क्षेत्रों में यह संख्या 55% है। इसका चुनाव के नतीजों पर भी असर पड़ेगा।”
दोनों गठबंधनों का चुनाव जीतने का दावा
वोट देने के लिए बाहर आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि ने दोनों गठबंधनों, सत्तारूढ़ महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) को यह विश्वास दिलाया है कि चुनाव जीतने की उनकी संभावना बढ़ गई हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “जब भी मतदान में वृद्धि होती है, भाजपा को राजनीतिक लाभ होता है। जाहिर है कि विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ा है। इससे भाजपा और महायुति दोनों को मदद मिलेगी।”
वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रमुख नाना पटोले ने दावा किया कि मतदान के आधार पर एमवीए चुनाव जीतने के लिए तैयार दिख रहा है। उन्होंने कहा, “विधानसभा चुनावों में लोगों के बीच महत्वपूर्ण उत्साह है, और महाराष्ट्र के स्वाभिमानी नागरिक एक ऐसी सरकार का चुनाव करेंगे जो राज्य के कल्याण को प्राथमिकता देगी। जनता की प्रतिक्रिया को देखते हुए कांग्रेस पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन निश्चित है।”
चुनाव आयोग (EC) के आंकड़ों के अनुसार, 91 सीटों पर मतदान प्रतिशत में 5-10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि 41 सीटों पर 5 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई। पालघर क्षेत्र में 23.82 प्रतिशत की सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। यहां शिवसेना के पूर्व सांसद राजेंद्र गावित सेना (यूबीटी) के जयेंद्र दुबला के साथ टक्कर में हैं। गुरुवार को यहां 71.05% मतदान हुआ, जबकि 2019 में यह 47.23% था।
पालघर के बाद ठाणे का डोंबिवली था, जहां मतदान प्रतिशत में 15.37 की वृद्धि देखी गई। इस सीट पर भाजपा के मंत्री रवींद्र चव्हाण का मुकाबला सेना (यूबीटी) के दीपेश म्हात्रे से था। यह मतदान 2019 में 40.82% हुआ था लेकिन इस बार यह बढ़कर 56.19% हो गया। रायगढ़ जिले की पेन सीट पर मौजूदा भाजपा विधायक रवि पाटिल का मुकाबला पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (PWP) और सेना (यूबीटी) के अतुल म्हात्रे और प्रसाद भोईर से था। यहां वोटिंग प्रतिशत 2019 के मुकाबले 63.4% से बढ़कर 71.49% हो गया। नांदेड़ दक्षिण सीट जहां मौजूदा कांग्रेस विधायक मोहन हंबार्डे का मुकाबला सेना के आनंद टिकड़े से था, वहां मतदान 64.13% से गिरकर 58.02% हो गया।