मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के 18 साल बाद Congress छोड़ BJP में आने के बाद सूबे में मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेसी सरकार ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उधर सिंधिया भाजपा में शामिल हुए और इधर उनके खिलाफ राज्य सरकार ने जांच बैठा दी।

दरअसल, सिंधिया के खिलाफ यह मामला कथित तौर पर भूमि घोटाला की फाइल खोलने से जुड़ा है। केस को लेकर सुरेंद्र श्रीवास्तव ने 12 मार्च, 2020 को शिकायत दी है, जिन्होंने कंप्लेंट लेटर में आर्थिक अपराध शाखा (इकनॉमिक ऑफेंसेज़ विंग) से मामले में दोबारा जांच करने की मांग उठाई है।

भोपाल स्थित आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को दिए पत्र में उन्होंने कहा है- मैंने 23 मार्च, 2014 को सिंधिया और परिजन के खिलाफ शिकायत दी थी, जिसके तहत आरोप है कि सिंधिया और उनके परिजन ने साल 2009 में सूबे के ग्वालियर स्थित महलगांव में जमीन (सर्वे क्रमांक 916) खरीदी और रजिस्ट्री में काट-छांट कराकर आवेदक (श्रीवास्तव) की भूमि छह हजार वर्ग फुट कर दी गई।

आर्थिक अपराध शाखा अधिकारियों के मुताबिक, श्रीवास्तव के लेटर की फिलहाल जांच कराई जा रही है। इसी बीच, सियासी मामलों के जानकारों का मानना है कि यह ऐक्शन कमलनाथ सरकार के सिंधिया से मतभेतों से जुड़ा हो सकता है।

हालांकि, सिंधिया से जब इस बारे में पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने बताया, “कांग्रेस मेरे खिलाफ आरोप लगाती रहे। मैं उनका जवाब नहीं दूंगा, क्योंकि 18 सालों में मेरी जीवनशैली और मेरे द्वारा की गई जन सेवा ही जवाब होगी।”

रोचक बात है कि सिंधिया के खिलाफ यह जांच ऐसे वक्त पर बैठाई गई है, जब BJP ने उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है, जबकि INC ने इस सीट से उनके खिलाफ पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को टिकट दिया है।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, राज्यसभा की तीन सीटों के लिए सूबे में होने वाले चुनाव में कांग्रेस व भाजपा में दिलचस्प लड़ाई दिखेगी, जहां कांग्रेस के न्यूनतम 22 विधायकों की बगावत के चलते कमलनाथ सरकार का भविष्य फिलहाल अधर में है। इसी बीच, राज्य में तीन सीटों के लिए दोनों पार्टियां दो-दो प्रत्याशी उतार चुकी हैं।