Rahul Gandhi Manipur Visit: लोकसभा में अपने भाषण के दौरान अन्य मुद्दों के साथ-साथ मणिपुर संकट को उजागर करने के कुछ दिनों बाद विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी सोमवार को संकटग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का दौरा करने के लिए तैयार हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि विपक्ष के नेता के तौर पर गांधी की मणिपुर की पहली यात्रा से यह संदेश जाएगा कि समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करना चाहिए, जो पिछले साल मई से मैतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष से त्रस्त है।

मणिपुर की अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान गांधी तीन स्थानों – जिरीबाम, चुराचांदपुर (जिला) और मोइरंग (बिष्णुपुर जिला) में राहत शिविरों में हिंसा प्रभावित लोगों से मिलेंगे। संकट पर चर्चा के लिए उनका राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी मिलने का कार्यक्रम है।

जिरीबाम शहर की उनकी यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस वर्ष जून तक यह शहर झड़पों से अप्रभावित रहा था, लेकिन एक हत्या ने एक साल से जारी इसकी शांति को छिन्न-भिन्न कर दिया।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के एक नेता ने कहा, ‘कांग्रेस ने पिछले साल मई से प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर न जाने के बारे में बार-बार कहा है। अब समय आ गया है कि हम अपनी बात पर अमल करें और इसलिए राहुल गांधी ने पिछले साल मई से तीसरी बार वहां जाने का फैसला किया है। संदेश साफ है कि हमारे नेता वह करेंगे जो प्रधानमंत्री नहीं करेंगे।’

नेता ने दावा किया कि इससे लोगों को यह संदेश भी जाएगा कि जब प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रा कर रहे हैं, तब हमारे नेता उस राज्य के लोगों के साथ खड़े हैं, जो इतने लंबे समय से उथल-पुथल के बावजूद उपेक्षित रहा है। प्रधानमंत्री मोदी 8-9 जुलाई को रूस और 9-10 जुलाई को ऑस्ट्रिया की यात्रा पर जाएंगे।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मणिपुर के लिए एआईसीसी के प्रभारी गिरीश चोडानकर ने कहा, ‘लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद यह राहुल जी का मणिपुर का पहला आधिकारिक दौरा होगा। इससे पहले वो हाथरस और अहमदाबाद जा चुके हैं। हाथरस का दौरा भगदड़ की घटना के पीड़ितों से मिलने के लिए था और अहमदाबाद का दौरा पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलने के लिए था।’

चोडनकर ने कहा, ‘हम यह दिखाना चाहते हैं कि मणिपुर भारत का अभिन्न अंग है…राहुल जी का दौरा राजनीतिक नहीं है, बल्कि मणिपुर के लोगों का दर्द बांटने के लिए है। वह वहां प्रेम का संदेश लेकर जा रहे हैं। जहां भी नफरत है, वह वहां प्रेम के साथ जाएंगे। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री भी वहां जाएंगे, क्योंकि हिंसा शुरू होने के बाद से राहुल गांधी तीसरी बार वहां गए हैं।’

बता दें, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में मणिपुर संकट का मुद्दा बार-बार उठाया है। 2 जुलाई को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के दो घंटे से अधिक समय तक चले जवाब के दौरान विपक्षी सदस्यों ने व्यवधान डाला, जो लगातार “मणिपुर के लिए न्याय” और “भारत जोड़ो” के नारे लगाते रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुरुमु द्वारा 27 जून को संसद के दोनों सदनों को दिए गए अभिभाषण में मणिपुर का मुद्दा नहीं उठाया गया। इस बात को रेखांकित करते हुए, आंतरिक मणिपुर से नवनिर्वाचित कांग्रेस सांसद ए. बिमोल अकोईजाम ने 1 जुलाई को राज्य की “अनदेखी” करने के लिए मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार किया।

अकोईजाम ने कहा , ‘क्या यह चुप्पी पूर्वोत्तर और विशेष रूप से मणिपुर के लोगों को यह संदेश दे रही है कि भारतीय राज्य की योजना में उनका कोई महत्व नहीं है?’ यह बात मध्य रात्रि के आसपास निचले सदन को संबोधित करते हुए कही। इससे कुछ घंटे पहले ही गांधी ने अपने भाषण में मणिपुर संकट का मुद्दा उठाया था।

3 जुलाई को राज्यसभा में अपने जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष को राजनीति से ऊपर उठने की सलाह देते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “कुछ तत्व आग में घी डालने का काम कर रहे हैं और ऐसे तत्वों को मणिपुर की जनता नकार देगी।”

मोदी ने यह भी बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया था और ‘वहां (मणिपुर में) कई दिनों तक रुके थे।’ उन्होंने कांग्रेस को 1993 में मणिपुर में आई उथल-पुथल की भी याद दिलाई, जब वह केंद्र में सत्ता में थी।

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को खारिज करते हुए उनके इस आश्चर्यजनक दावे पर सवाल उठाया कि मणिपुर में स्थिति सामान्य है। एआईसीसी के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वास्तव में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है, जैसा कि आंतरिक मणिपुर के सांसद ने 1 जुलाई को लोकसभा में बताया।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि गांधी का दौरा मणिपुर के लोगों को दोनों लोकसभा सीटें कांग्रेस को देने के लिए धन्यवाद देने के लिए भी होगा। एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनावों से पहले, गांधी ने दो बार राज्य का दौरा किया था – यहां तक ​​कि उन्होंने मणिपुर से ही अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा (अपनी दूसरी यात्रा) भी शुरू की थी। अब जबकि हमने दोनों लोकसभा सीटें जीत ली हैं, लोगों को पता होना चाहिए कि चुनाव के बाद भी वह उनके साथ रहेंगे।

इस साल 14 जनवरी को गांधी ने इम्फाल से भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की थी, जो 18 मार्च को मुंबई में संपन्न हुई । यात्रा शुरू करने से पहले गांधी ने आरोप लगाया था कि मणिपुर भाजपा और आरएसएस की नफरत की राजनीति का शिकार है।

पिछले साल 30 जून को जातीय हिंसा भड़कने के बाद राहुल ने मणिपुर का अपना पहला दौरा किया था। वे दो दिन तक वहां रहे और सड़क मार्ग से चुराचांदपुर जाते समय पुलिस ने उन्हें रोक लिया था। इसके बाद वे शाम को हेलीकॉप्टर से शहर पहुंचे थे।

बता दें, लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान के दौरान गांधी ने देश भर में अपनी कई रैलियों में मणिपुर में हिंसा के बारे में बात की थी। आंतरिक मणिपुर में अकोईजाम ने सत्तारूढ़ भाजपा के थोनाओजाम बसंत कुमार सिंह को 1.09 लाख वोटों से हराया। आउटर मणिपुर में कांग्रेस के अल्फ्रेड कान-नगाम आर्थर ने एनडीए सहयोगी एनपीएफ के कचुई टिमोथी जिमिक को 85,418 वोटों से हराया।