मोदी सरकार में मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने राजपूतों को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी। इसको लेकर बीजेपी को राजपूतों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। पुरुषोत्तम रूपाला के पैतृक जिले अमरेली के नेताओं के एक गुट ने कहा कि अखिल भारतीय काठी क्षत्रिय समाज (ABKKS) के नेताओं ने शुक्रवार को राजकोट भाजपा कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब तक राजकोट सीट से पुरुषोत्तम रूपाला का टिकट नहीं काटा जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा।

राजकोट जिले की पूर्व रियासत सावरकुंडला के शाही परिवार के सदस्य प्रकाश खुमान के नेतृत्व में जिले की पूर्व रियासतों के शाही परिवारों के 12 प्रतिनिधियों ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रकाश खुमान ने कहा, “मुझे आपको याद दिलाना चाहिए कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस क्षत्रिय राजपूत गरासिया बोर्डिंग में आयोजित की गई है जबकि कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस कमलम (भाजपा कार्यालय) में आयोजित की गई थी। जो नेता वहां मौजूद थे वे हमारे भाई और सम्मानित व्यक्ति हैं। कोई आंतरिक कलह नहीं है। लेकिन उन्होंने जो कहा वह आधा सच है। आपका सच और मेरा सच अलग हो सकता है।”

प्रकाश खुमान ने कहा कि भारत की 562 रियासतों में से 300 से 325 अकेले गुजरात में थीं। खुमान ने कहा, “गुजरात में 100 से अधिक काठी क्षत्रिय दरबार के राज्य थे, जिनकी आबादी सबसे अधिक अमरेली जिले में थी। जब कोई समुदाय इतना बड़ा हो, तो कोई भी व्यक्ति, जिसमें मैं भी शामिल हूं, पूरे समुदाय की ओर से बोलने का अनुबंध करने का दावा नहीं कर सकता।” काठी दरबार गुजरात में क्षत्रिय समुदाय के जाति समूहों में से एक है।

शुक्रवार को भाजपा कार्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए एबीकेकेएस के अध्यक्ष मुन्ना विंछिया ने कहा था कि उनका समुदाय भाजपा का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, “हमारा समुदाय हिंदुत्व के लिए प्रतिबद्ध समुदाय है। आज जब दुनिया राजनीतिक अराजकता और अस्थिरता का सामना कर रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल की मांग कर रहे हैं, ऐसे समय में काठी क्षत्रिय समुदाय, जो हिंदुत्व और देशभक्ति की विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध है, वह मोदी और भाजपा को पूर्ण समर्थन देता है।”

एबीकेकेएस के एक अन्य नेता रामकू खाचर ने कहा था कि काठी दरबार की कोर कमेटी (जिसमें सौराष्ट्र के नेता शामिल हैं) ने एक बैठक की और भाजपा का समर्थन करने का फैसला किया क्योंकि मोदी ने समुदाय के संरक्षक देवता भगवान राम का मंदिर बनाने में मदद की है। उनका मानना है कि अयोध्या में और सुरेंद्रनगर में सूर्य देव को समर्पित एक मंदिर सूरजदेवल को विकसित करने में भी मोदी सरकार मदद कर रही है।

यह पूछे जाने पर कि क्या उनका समुदाय रूपाला को माफ कर देता है, रामकू ने कहा था, “हमें उस मुद्दे से ज्यादा लेना-देना नहीं है। हम समझते हैं कि यदि कोई टैंक साफ करता है तो गंदगी सतह पर आ जाएगी। सामुदायिक स्तर पर कोई समस्या नहीं है और झुकना या किसी को माफी मांगने के लिए मजबूर करना हमारा चरित्र नहीं है। जब बात नरेंद्र मोदी की है, तो उन्होंने जो भी उम्मीदवार खड़ा किया है उसका समर्थन करना हमारा नैतिक कर्तव्य है।”

“इन कई राज्यों के प्रतिनिधि समुदाय के सामान्य परिवारों से आने वाले युवाओं की भावनाओं को व्यक्त करने आए हैं। हम कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उन्हें महसूस हुए सदमे की भावना को आवाज देने की कोशिश कर रहे हैं।”

पुरुषोत्तम रूपाला की माफी पर प्रकाश खुमान ने कहा, “जुबान फिसलने और आपके अंदर जो छिपा है उसे व्यक्त करने में अंतर है। इसके अलावा हर जगह विरोध प्रदर्शन के बाद जो माफी मांगी गई, उसमें ईमानदारी की कमी थी। कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस का संदेश यह था कि राष्ट्रीय परिदृश्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ध्यान में रखते हुए, हमें यह (विरोध) छोड़ देना चाहिए। हालांकि हम कहीं भी यह नहीं कह रहे हैं कि हम भाजपा के खिलाफ हैं। मामला सिर्फ राजकोट सीट तक ही सीमित है। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी (रूपाला) उम्मीदवारी रद्द नहीं हो जाती। हम यह प्रेस कॉन्फ्रेंस यह बताने के लिए कर रहे हैं कि इस आंदोलन को धीरे-धीरे तेज होने से रोकना बीजेपी नेतृत्व की जिम्मेदारी होगी।”

इस बीच बोटाद जिले के पलियाड गांव में क्षत्रियों के एक धार्मिक स्थान विहलधाम के प्रमुख निर्मलबा ने शुक्रवार को राजकोट में पुरुषोत्तम रूपाला के निवास पर उन्हें आशीर्वाद देने के लिए मुलाकात की थी।