देश में इस समय कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने और स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव को कम करने के लिए राज्यों की ओर से लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे फैसले लिए गए हैं। हालांकि जहां इस फैसले के पीछे दावा कोरोना की चेन तोड़ने का है वहीं इससे सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरी कमाने वालों पर पड़ रहा है।
लॉकडाउन के चलते एक तबके को न तो कुछ काम मिल रहा है और न ही स्थिति ऐसी है कि वे यातायात के जरिए अपने घरों को लौट सकें। मंजर पिछले साल जैसा ही है। पिछले साल की लॉकडाउन की यादें एक वीडियो को देखकर ताजा हो जाती हैं। जिसमें एक लड़का सड़क किनारे खड़ा होकर फफक फफक कर रो रहा है। पिछले साल के वीडियो में दिल्ली के आनंद विहार में खड़ा लड़का अपने घर जाना चाहता था लेकिन कोई जरिया न होने के चलते काफी वक्त तक एक जगह पर खड़ा रहा। जब पत्रकार ने लड़के से पूछा कि क्यों रो रहे तो लड़का बोल पड़ा, घर जाना है। लड़के के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
लड़के ने बताया कि वह बिहार जाना चाहता है। लेकिन उसे जाने के कुछ मिल नहीं रहा है। पुलिस भी मारपीट से काम ले रही है। लड़के ने बताया कि वह तीन दिनों से घूम रहा है लेकिन उसे घर जाने को कुछ मिल नहीं रहा है। मुमकिन है कि कुछ ऐसी ही परेशानी से प्रवासियों को इस बार भी गुजरना पड़ रहा हो।
बता दें कि रोजाना दर्ज किए जाने वाले कोरोना मामलों में अभी तक की सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई है। बुधवार सुबह तक भारत में कोरोना वायरस के 2.95 लाख मामले दर्ज किए गए। इसी बीच 2,023 लोगों की मौतें हुईं। भारत में कोरोना के कुल मामले अब 1,56,16,130 हो गए हैं। देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 1,82,553 है।
फिलहाल इस समय देश में कोरोना के 21,57,538 एक्टिव मामले हैं। बुधवार को, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा कि वह कोविशिल्ड की खुराक को 400 रुपये में राज्य सरकारों को और 600 रुपये में निजी अस्पतालों को बेचेगा।
संस्थान वर्तमान में केंद्र सरकार को अपना टीका 150 रुपये में बेच रहा है। कंपनी ने यह भी कहा कि वह अपनी क्षमता का 50 प्रतिशत केंद्र के टीकाकरण कार्यक्रम को आवंटित करेगा।

