शिवसेना के कार्यकर्ताओं द्वारा सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोते जाने की निंदा करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने किसी भी विपरीत नजरिए के प्रति देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ पर आज चिंता जाहिर की। कुलकर्णी किसी जमाने में आडवाणी के सहयोगी रह चुके हैं।

आडवाणी ने कहा, ‘‘जिसने भी यह किया है, मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं। पिछले कुछ दिनों में ऐसे संकेत मिल रहे हैं…कि जब आपको कोई व्यक्ति या कोई विचार स्वीकार्य नहीं होता तो आप हिंसा पर उतारू हो जाते हैं या उनके प्रति असहिष्णु हो जाते हैं।’’

आडवाणी ने कहा, ‘‘यह देश के लिए चिंता का विषय है। लोकतंत्र को एक अलग नजरिए के प्रति सहिष्णुता सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

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भाजपा के वरिष्ठ नेता दरअसल एक समारोह से इतर बोल रहे थे। इस समाराहे में रणनीतिक मामलों की एक पत्रिका ‘चाणक्य’ का विमोचन किया गया था।

हालांकि आडवाणी ने यह भी कहा कि उन्होंने अभी तक कुलकर्णी से बात नहीं की है और उन्हें यह जानकारी नहीं है कि उनपर हमला किसने बोला है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सुधींद्र जी से संपर्क नहीं कर सका। मुझे लगता है कि कम से कम हमारे साथ जुड़े लोगों को तो लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए और ऐसे हिंसक कृत्यों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और इन्हें त्यागना चाहिए।’’

पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि यह किसने किया है इसलिए मैं किसी का नाम नहीं ले सकता। लेकिन जिसने भी यह किया है, उसने देश का नाम खराब किया है।’’

शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने आज कुलकर्णी के चेहरे पर काले रंग का पेंट लगा दिया था। कुलकर्णी थिंकटैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं और उन्हें पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्तक का विमोचन समारोह मुंबई में आयोजित करने के लिए निशाना बनाया गया।

इस पत्रिका के विमोचन समारोह के दौरान पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार शेखर दत्त समेत देश के सुरक्षा प्रतिष्ठानों में सेवाएं दे चुके कई अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर आडवाणी ने कहा कि आने वाले समय में पारंपरिक युद्ध के मैदान बदल जाएंगे और इनका स्वरूप पहले से अधिक डिजीटल हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि सुरक्षा का मौजूदा माहौल हमें कोई राहत नहीं देता। भारत के सामने बहुत सारी जटिल चुनौतियां और खतरे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश पर पांच युद्ध थोपे जा चुके हैं और कितनी ही बगावतों को दूसरे देशों की ओर से समर्थन दिया गया।

उन्होंने आईएसआईएस जैसे सरकार से इतर आतंकी तत्वों के उभार को ‘चिंताजनक’ बताया। उन्होंने कहा कि इन तत्वों की अधिकतर गतिविधियां अवैध हैं और अंतरराष्ट्रीय नियमों से बाहर हैं।

आडवाणी ने कहा कि करगिल के बाद सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। उस समूह ने बहुत सी सिफारिशें की थीं।

पत्रिका प्रकाशित करने वाले चाणक्य सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (सीसीएसएस) की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि इनमें से एक सिफारिश शोध केंद्रों की स्थापना की थी।