बिहार की प्रमुख राजनीतिक पार्टी राजद आज (05 जुलाई को) अपना 24वां स्थापना दिवस मना रही है। साल 1997 में आज ही के दिन बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने केंद्र की सत्ताधारी जनता दल से अलग होकर राजद का गठन किया था। गठन के बाद से ही राजद का बिहार की राजनीति में खासा दबदबा रहा है। 2004 के आम चुनावों में लोकसभा की 24 सीटें जीतकर राजद केन्द्र में यूपीए की अहम सहयोगी पार्टी बनी थी। यूपीए कार्यकाल के दौरान राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री का पद भी संभाला था।
इन हालात में हुआ राजद का गठनः लालू प्रसाद यादव ने पहली बार 10 मार्च 1990 को बिहार के सीएम पद की शपथ ली थी। इसके बाद 4 अप्रैल 1995 से लालू ने बतौर सीएम अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया। इस दौरान लालू यादव जनता दल के अध्यक्ष भी थे। हालांकि चारा घोटाले में नाम आने के बाद साल 1997 में लालू यादव को सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। इसी बीच जनता दल के अध्यक्ष पद से भी लालू यादव की छुट्टी हो गई और उनकी जगह शरद यादव पार्टी अध्यक्ष बन गए। सीएम के साथ ही जनता दल के अध्यक्ष का भी पद गंवाने के बाद लालू यादव को सत्ता अपने हाथ से फिसलती नजर आयी।
ऐसे मुश्किल हालात में लालू यादव ने विश्वासपात्र नेताओं को इकट्ठा किया और जनता दल से अलग होकर अपनी नई पार्टी राजद का गठन कर लिया। इतना ही नहीं, नई पार्टी के गठन के साथ ही बिहार के सीएम की कुर्सी पर राबड़ी देवी को बिठाया और खुद चारा घोटाला मामले में सरेंडर कर दिया। हालांकि पत्नी के सीएम रहते हुए परोक्ष रूप से बिहार की राजनीति और शासन पर पकड़ लालू यादव की ही रही।
बता दें कि राजद के गठन के समय सत्ताधारी जनता दल के 17 सांसद थे, इनमें से लालू यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह समेत लोकसभा के 7 सांसदों को अपने साथ मिला लिया। नई पार्टी के गठन के बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में राजद ने बिहार की 17 लोकसभा सीटों पर कब्जा किया, जिससे लालू यादव का राजनैतिक कद और ऊंचा हो गया।
छात्र जीवन से की थी लालू यादव ने राजनीति की शुरुआतः लालू प्रसाद यादव ने छात्र जीवन में पहली बार राजनीति में कदम रखा था और पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लिया। इसके बाद जनता पार्टी के टिकट पर लालू यादव 1977 में 9वीं लोकसभा के लिए पहली बार सांसद चुने गए। लालू यादव ने मुस्लिम यादव गठजोड़ की मदद से बिहार की राजनीति में अपना दबदबा कायम किया। स्थिति ये है कि लालू यादव इन दिनों सक्रिय राजनीति से दूर हैं और चारा घोटाले में जेल की सजा काट रहे हैं। इसके बावजूद आज भी बिहार की राजनीति में लालू यादव फैक्टर काफी मायने रखता है।