रविवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि भारत सरकार लद्दाख से जुड़े मुद्दों को देखते हुए भारत के संविधान की छठी अनुसूची के तहत उपलब्ध संरक्षण पर चर्चा करने के लिए तैयार है। प्रतिनिधिमंडल ने आगामी चुनाव के बहिष्कार के लिए अपना आह्वान वापस लेने पर सहमति व्यक्त की है।
सभी दलों के Ladakh Autonomous Hill Development Council (LAHDC)-Leh के चुनाव के बहिष्कार के ऐलान के बाद शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह नई दिल्ली में लद्दाख के एक प्रतिनिधिमंडल से मिले। यह बैठक करीब आधे घंटे चली, जिसमें प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व थिकसे मठ के प्रमुख और पूर्व राज्य सभा सदस्य स्कायब्जे थिकसे खांपो रिन्पोचे कर रहे थे। प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान लद्दाख को “बाहरी लोगों” से बचाने के लिए छठी अनुसूची का दर्जा देने की अपनी मांग रखी।
27 सितंबर को इस मसले से जुड़ी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, “लद्दाख के दिग्गज नेताओं का प्रतिनिधिमंडल लेह-लद्दाखवासियों की ओर से गृह मंत्री अमित शाह से 26 सितंबर को मिला था। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी केंद्रीय युवा मामलों और खेलों के गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू इस दौरान मौजूद रहे।”
प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया गया कि भाषा, जनसांख्यिकी, जातीयता, भूमि और नौकरियों से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा। लद्दाखी प्रतिनिधिमंडल (लेह और करगिल जिले के लोग शामिल) और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच LAHDC, लेह चुनाव के 15 दिन बाद संवाद होगा। कोई भी फैसला लिया जाएगा, तो उसके लिए लेह और करगिल के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा।
गृह मंत्री ने इस प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि भारत सरकार लेह और करगिल के LAHDC को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही वह केंद्र शासित लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा भी करने के लिए प्रतिबद्धता जताती है।
विज्ञप्ति के अनुसार, भारत सरकार संविधान के छठी अनुसूची के तहत उपलब्ध संरक्षण पर चर्चा करने के लिए तैयार है। लद्दाखी प्रतिनिधिनिमंडल LAHDC, लेह चुनाव के बहिष्कार को वापस लेने पर राजी हो गया है। साथ ही उसने वादा किया है कि वह इन चुनावों में पूरा समर्थन देगा।