चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से कहा कि भारत और चीन को सिर्फ “इमरजेंसी प्रतिक्रिया” का सहारा लेने के बजाय विवादित सीमा के “सामान्यीकृत प्रबंधन” पर ध्यान देना चाहिए। यह बात उन्होंने ताजिकिस्तान के दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर एक बैठक में गुरुवार (16 सितंबर, 2021) को कही थी।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मसले पर अपनी राय देते हुए बताया कि यह जयशंकर के लिए कितना बड़ा तमाचा है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि भारत दुनिया की नजर में इतना कभी अपमानित नहीं हुआ। दरअसल, माइक्रो ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म टि्वटर पर स्वामी को टैग करते हुए @GurudathShettyK नाम के यूजर ने चीन के विदेश मंत्री के उक्त बयान का हवाला देते हुए उससे जुड़ी खबर शेयर की थी, जिसके जवाब में बीजेपी सांसद ने अपनी यह प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने लिखा, “जयशंकर को कितना कड़ा तमाचा। हमारे विदेश मंत्री ने अभी-अभी अपनी पीठ थपथपाई और भारत लौट आए। भारत दुनिया की नजर में इतना अपमानित कभी नहीं हुआ।” यह है स्वामी का ट्वीटः
वैसे, चीन ने शुक्रवार को जयशंकर के उस बयान पर सहमति जताई, जिसमें उन्होंने कहा कि बीजिंग को भारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। चीन ने कहा कि चीन-भारत के संबंधों के अपने ”अंतर्निहित तर्क” हैं। जयशंकर ने यी से कहा कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से जुड़े पेंडिंग मुद्दों का जल्द हल निकालने के लिए काम करना चाहिए।
जयशंकर बोले कि दोनों पक्षों को ‘‘परस्पर सम्मान’’ आधारित संबंध बनाने होंगे और जिसके लिए यह जरूरी है कि चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को, तीसरे देशों के साथ अपने संबंधों के दृष्टिकोण से देखने से बचे। जयशंकर की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, ” हम भारतीय पक्ष की टिप्पणी से सहमत हैं।”
जयशंकर ने अपने वक्तव्य में ‘‘एक तीसरे देश’’ का जिक्र किया, जबकि विदेश मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य में ‘‘तीसरे देशों’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। बताया जाता है कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के घटनाक्रमों पर भी विचार साझा किए। बयान के मुताबिक, जयशंकर ने याद किया कि वांग ने 14 जुलाई को उनकी पिछली मुलाकात के दौरान जिक्र किया था कि द्विपक्षीय संबंध निम्न स्तर पर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि 14 जुलाई को हुई बैठक में दोनों पक्षों ने सहमति जताई थी कि वर्तमान हालात का लंबे समय तक जारी रहना दोनों पक्षों के हित में नहीं है क्योंकि इससे संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। उस बैठक में जयशंकर ने वांग से कहा था कि एलएसी पर यथास्थिति में किसी भी तरह का एकपक्षीय बदलाव भारत को स्वीकार्य नहीं है और पूर्वी लद्दाख में अमन-चैन पूरी तरह बहाल होने पर ही समग्र संबंध विकसित हो सकते हैं।
