LAC विवाद के बीच BJP सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अपने चीनी समकक्ष के साथ बैठक के लिए राजी नहीं होना चाहिए था। उन्होंने एससीओ से इतर भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की भेंट को बड़ी भूल बताया है। शनिवार को उन्होंने ट्वीट किया, “हमारे अच्छे रक्षा मंत्री को अपने स्तर पर चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक के लिए राजी नहीं होना चाहिए था। भारत को ऐसा तब भी नहीं करना चाहिए था, जब चीन बातचीत के लिए तैयार रहता। यह सामूहिक फैसला होना चाहिए था। चीन पर मेरी जानकारी के आधार पर मेरी निजी राय है कि यह (राजनाथ का चीनी रक्षा मंत्री से मिलना) बड़ी भूल थी।”

हालांकि, स्वामी की इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया यूजर्स बंटे नजर आए। कुछ ने इस पर उनका समर्थन किया, जबकि कई ने इससे इत्तेफाक नहीं रखा। @Tanraj58 नामक हैंडल से कहा गया- ये सही है। बड़ी गलती है, इस लिहाज से कि चीन और जिनपिंग ने नरेंद्र मोदी द्वारा 18 मैत्री बैठकों के बाद धोखा दिया है। मुझे आश्चर्य है कि मंत्री (राजनाथ) को चीनी समकक्ष से मिलने की अनुमति देने के लिए नमो क्यों सहमत हुए? क्या नमो के पास अभी भी अपने दोस्त जिनपिंग के लिए सॉफ्ट कॉर्नर छिपा है?

@manoj_indore ने लिखा, “कह कर लेने का अपना मजा है। यह मोदी है चाचा नेहरू नहीं, जो चीन की बातों के झांसे में फस जाएंगे। गुजराती आदमी अपने बेटे पर विश्वास नहीं करता है, वो चीन पर क्या ख़ाक विश्वास करेगा।” @the_sanatani_ss ने लिखा- यह कमजोरी का संकेत नहीं है। वह मुखरता से चीजों का सामना कर रहे हैं।

@NATRAJSHETTY ने कहा, “वार्ता करने की सहमति देकर हमारी कमजोरी दिखाना है। एक मजबूत संदेश भेजने के लिए उन्हें खर्राटे लेने देना चाहिए था। बीते 6 सालों में 18 टॉप लेवल मीटिंगों में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला। क्या हम चीनी जाल में गिर रहे हैं?

बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगी को स्पष्ट संदेश दिया कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का कड़ाई से सम्मान करे। साथ ही यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश न करे। भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि राजनाथ ने अपने चीनी समकक्ष से स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात को जिम्मेदारी से सुलझाने की जरूरत है और दोनों पक्षों की ओर से आगे कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे मामला जटिल हो और सीमा पर तनाव बढ़े।

दरअसल, मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में एलएससी पर पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्चस्तरीय आमने-सामने की बैठक में रक्षा मंत्री ने यह संदेश दिया। राजनाथ और वेई के बीच यह बैठक शुक्रवार शाम शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रक्षा मंत्री स्तर की बैठक से इतर मॉस्को में हुई और यह करीब दो घंटे 20 मिनट तक चली थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)