भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी चीन द्वारा घुसपैठ को लेकर बोले हैं। उन्होंने कहा है- प्रधानमंत्री नरेंद्र ने एक बार भी चीन का नाम नहीं लिया। पर ‘क्वाड’ का संयुक्त बयान चीन को हमलावर बताता है। स्वामी ने इसके साथ ही युद्ध की वकालत की और ट्वीट के अंत में जंग की तैयारी करने के लिए कहा।
रविवार को किए ट्वीट में उन्होंने लिखा, “कृपया ध्यान देंः पीएम मोदी ने भारत में एक बार भी चीन को नाम से नहीं पुकारा। पर क्वाड के संयुक्त बयान और साथ में आया नोट चीन को ‘हमलावर के रूप में दोषी’ ठहराता है। अच्छी प्रगति है। अब ब्रिक्स सम्मेलन बैठक को रद्द कर दिया जाना चाहिए। और चीन के जूनियर साझेदारों को मामले में मध्यस्थता करने से रोकें। जंग के लिए तैयारी करें।”
दरअसल, ‘क्वाड’ चार देशों- भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का एक समूह है और 2007 में इसकी स्थापना के बाद से इन चार सदस्यों देशों के प्रतिनिधि समय-समय पर मिलते रहे है। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सदस्य देशों के अन्य नेता भाग ले रहे हैं। बाइडन ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सहयोग को बढ़ाने में ‘क्वाड’ एक नया तंत्र बनकर उभरा है।
उन्होंने चीन के स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘‘हम अपनी प्रतिबद्धताओं को जानते हैं … हमारा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संचालित है, हम सभी सार्वभौमिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है और किसी दबाव से मुक्त है लेकिन मैं हमारी संभावना के बारे में आशावादी हूं।’’ बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, ‘‘आपको देख कर बहुत अच्छा लगा।’’
स्वामी की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई, जब भारत और चीन के बीच LAC विवाद जारी है। पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों के समाधान को लेकर दोनों मुल्कों में शुक्रवार को गहराई से चर्चा हुई थी। हालांकि, दोनों देशों ने कहा था कि पैंगोंग झील के उत्तरी, दक्षिणी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने से शेष मुद्दों के जल्द समाधान की दिशा में अच्छा आधार प्रदान किया है।
भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार विमर्श और समन्वय संबंधी कार्यकारी तंत्र की 21वीं बैठक 12 मार्च 2021 को हुई । इसमें भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने की और चीनी शिष्टमंडल का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय के सीमा एवं समुद्री विभाग के महानिदेशक ने की। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति की समीक्षा की और इस सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों के समाधान को लेकर गहराई से चर्चा की।
पैंगोंग झील क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक 20 फरवरी को हुई थी जिसमें संघर्ष के अन्य इलाकों में पीछे हटने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। समझा जाता है कि भारत हाट स्प्रींग, गोगरा और देपसांग में तेजी से पीछे हटने को लेकर जोर दे रहा है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)