राजस्थान का कोटा शहर किस लिए जाना जाता है? शायद ‘बेहतरीन कोचिंग’ संस्थानों के लिए या फिर इन संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों के बढ़ते सुसाइड ग्राफ के लिए? कोटा शहर में आत्महत्या करने वाले छात्रों की तादाद साल 2023 में 23 थी और यह संख्या 2015 के बाद एक साल में सबसे ज्यादा थी।

बढ़ते सुसाइड के मामलों पर बहुत ज़्यादा चर्चा हुई है लेकिन इन कम उम्र छात्रों की जिंदगी के जाने का सिलसिला जारी ही है। सवाल बरकरार है कि आखिर क्यों?

जब आप, मैं, हमारी सरकार और हम सब इस सवाल के जवाब को खोजने में जुटे हैं, इस दौरान एक और समस्या ने कोटा पर अपना असर दिखाना शुरू किया है। यह समस्या छात्रों के लापता हो जाने से जुड़ी है। इंडियन एक्सप्रेस ने एक ऐसी ही रिपोर्ट के जरिए इस मामले को सामने लाने का प्रयास किया है।

लापता हो रहे छात्र

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में एक 17 साल के छात्र का ज़िक्र किया है। वह NEET की तैयारी कर रहे उन 10 छात्रों में से एक है जो इस साल जनवरी से मई तक कोटा से लापता हो गए थे। कोटा पुलिस ने जानकारी दी है कि भागे हुए ज़्यादातर छात्र NEET या JEE की तैयारी कर रहे थे और परीक्षा से पहले या बाद में अपने हॉस्टल से लापता हो गए थे।

17 साल के लापता हुए छात्र की कहानी

पश्चिम बंगाल के एक 17 वर्षीय छात्र के पिता 22 फरवरी को सुबह 8 बजे के करीब अपनी भतीजी को सिलीगुड़ी में उसके बोर्ड परीक्षा केंद्र पर छोड़ने पहुंचे थे, तभी उनके फोन की घंटी बजी। कोटा से एक शिक्षक ने उन्हें यह बताने के लिए फोन किया था कि उनका बेटा उस बस में मौजूद नहीं है जो छात्रों को बोर्ड परीक्षा केंद्र पर छोड़ने वाली है।

पिता ने हॉस्टल के वार्डन को कॉल किया। वार्डन ने उन्हें बताया कि उनका बेटा हॉस्टल के कमरे में नहीं है और उसका मोबाइल भी यहीं है। उन्होंने तुरंत अपने और अपनी पत्नी के लिए दो फ्लाइट टिकट बुक किए और दिल्ली पहुंचे।

इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते वह अपने बेटे को प्रतिभाशाली बताते हैं और कहते हैं कि उसने अपने कोचिंग संस्थान की NEET टेस्ट सीरीज़ में 720 में से 700 से ज़्यादा अंक हासिल किए हैं।

जब वह 23 फरवरी को सुबह 3 बजे कोटा पहुंचे तब तक वार्डन ने उनके लापता बेटे को लेकर प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। वह सीधे कोटा के कुन्हाड़ी पुलिस स्टेशन गए और हॉस्टल के आस-पास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले।

एसएचओ अरविंद भारद्वाज ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि लड़का 21 फरवरी की शाम को ऑटोरिक्शा से कोटा स्टेशन पहुंचा था। स्टेशन पर वह ट्रेन में भी चढ़ा, लेकिन उतर गया। उसने ऐसा कई बार किया और आखिरकार आगरा जाने वाली ट्रेन में चढ़ गया।

एक पुलिस के जवान को उसके पिता के साथ उसकी खोज के लिए आगरा भी भेजा गया। आगरा में जांच के दौरान फुटेज में देखा गया कि लड़का आगरा से करीब 650 किलोमीटर दूर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (पहले मुगलसराय) जाने वाली ट्रेन में चढ़ रहा था। इस बीच लड़के के कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच से एक अहम सुराग मिला, जिसमें पता चला कि वह अपनी दिवंगत दादी का मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस ने तुरंत उस नंबर को ट्रैक करना शुरू कर दिया।

पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पर उन्हें पता चला कि वह अयोध्या जाने वाली ट्रेन में सवार हो गया है। उसके पिता और कांस्टेबल अयोध्या के लिए रवाना हुए। जब वह अयोध्या जा रहे थे, तो उसके फोन की लोकेशन से पता चला कि वह पटना में है। पटना में उसकी लोकेशन से पता चला कि वह पश्चिम बंगाल जा रहा था। चूंकि पटना से कई ट्रेनें हावड़ा (पश्चिम बंगाल) जाती हैं, इसलिए पिता को लगा कि वह घर जाने की कोशिश कर रहा है।

इसके बाद हावड़ा स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज को देखने पर पता चला कि 25 फरवरी की दोपहर में वह एक ही जगह पर तीन घंटे से ज़्यादा समय तक बैठा रहा। इसके बाद लड़का सियालदाह स्टेशन गया जहां से वह दार्जिलिंग मेल में सवार होकर न्यू जलपाईगुड़ी पहुंच गया, जो उसके गृह नगर सिलीगुड़ी के सबसे नज़दीकी स्टेशन है। पिता ने यह जानकारी रिशतेदारों को दी। 26 फरवरी को सुबह 8 बजे जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंची, तो रिश्तेदारों ने बोगियों की जांच शुरू कर दी। वह उन्हें वहां मिल गया और उसे साथ ले जाया गया, वह काफी थका हुआ और खोया हुआ सा लग रहा था।

पुलिस क्या कहती है?

कोटा के लापता छात्रों के तीन मामलों पर काम कर चुके कोटे के एक पुलिस स्टेशन के एसएचओ अरविंद भारद्वाज ने कहा कि ऐसे मामले प्रशासन के लिए चिंता का नया कारण बन गए हैं। वह कहते हैं कि हम खुश हैं कि छात्र कोई भी कठोर कदम नहीं उठा रहे हैं, छात्रों के लापता होने से माता-पिता और प्रशासन में घबराहट पैदा होती है। हमें लगता है कि छात्र असफलता को बर्दाश्त नहीं कर सकते और उनके माता-पिता अपने बच्चों को असफल होते नहीं देख सकते। हालाँकि हम छात्रों का पता लगाने के बाद उन्हें परामर्श देते हैं, लेकिन यह समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक इन छोटे बच्चों पर से अनुचित दबाव नहीं हटाया जाता।

Report by Parul Kulshrestha